कहते हैं अगर जज़्बा हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है. मेहनत, हिम्मत और लगन से इंसान कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है. और ये वाक्य एकदम सटीक बैठते हैं लखनऊ के तुषार पर. तुषार नॉन फ़कश्नल हैंड्स (Non Functional Hands) के साथ पैदा हुआ लेकिन दिव्यांगता उसके रास्ते में रोड़ा नहीं बन पाई.

TOI के रिपोर्ट के अनुसार, Creative Convent College के तुषार विश्वकर्मा ने तो परीक्षा में टीचर की मदद ली और न ही राइटर मांगा. नीले और काले कलम से ख़ुद लिखा और 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. ख़ास बात ये है कि तुषार ने हाथ से नहीं बल्कि पैर से लिखकर परीक्षा पास की.

इंजीनियर बनना चाहता है तुषार

तुषार को बचपन से ही पढ़ाई का शौक था लेकिन जन्म के बाद से ही उसके दोनों हाथ काम करना बंद हो गए. “जब मेरे दोनों बड़े भाई-बहनों ने स्कूल जाना शुरू किया तो मैंने भी अपने माता-पिता से कहा कि मुझे भी स्कूल जाना है लेकिन मुश्किल ये थी कि मैं लिख नहीं सकता था. जब मेरे भाई-बहन पढ़ाई करते तो मैंने उन्हें देखकर पैरों से उनकी नकल करने की कोशिश करता और ऐसे ही लिखना शुरू किया.

तुषार ने नर्सरी से ही पैर से लिखना शुरू कर दिया था. किताब के पन्ने पलटने से लेकर असाइंमेंट लिखने से लेकर और परीक्षा देने तक, तुषार सब कुछ अपने पैरों से कर लेता है.

तुषार ने बताया कि उसके पिता राजेश विश्वकर्मा प्राइवेट जॉब करते हैं. कई स्कूलों के चक्कर लगाने के बाद तुषार को आख़िर में Model Public School में प्रवेश मिला. कक्षा 9वीं में उसने Creative Convent College में दाखिला लिया.

टीचर्स ने की सहायता

तुषार ने बताया कि टीचर्स ने उसकी सहायता की. टीचर्स ने उसे ज़मीन पर बैठकर परीक्षा देने की इजाज़त है. ‘मैं अपने 10वीं के मार्क्स से ख़ुश था, मुझे 67% और 12वीं मैंने और प्रदर्शन किया और 70% प्रतिशत मार्क्स लाए.’, तुषार ने कहा.

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 5 years.