राजस्थान का एक जिला है उदयपुर. यहां के एक घरेलू कामगार के बेटे भावेश ने जिस तरह से पहले तमाम बाधाओं को पार करते हुए अपनी मेहनत से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और अब फोर्ड जैसी बड़ी कंपनी में नौकरी पाकर एक नए रास्ते पर हैं, वो प्रेरक है. सालों पहले इस लड़के ने जो सपना देखा था, अंतत: अपनी कड़ी मेहनत से उसे पूरा करने में सफल रहा. भावेश ने सोशल मीडिया पर अपना पूरा सफ़र साझा किया है.
भावेश ने लिंकडिन पर एक पोस्ट के ज़रिए बताया कि उन्होंने कैसे गरीबी से निकलकर फोर्ड मोटर जैसी बड़ी कंपनी में खुद को एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में स्थापित किया. अपनी पोस्ट में भावेश ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए लिखा, “मुझे वो दिन याद हैं, जब हम एक सरकारी स्कूल में जाने के लिए चिलचिलाती गर्मी में नंगे पांव हाईवे पर चलते थे. मैं और मेरे दो दोस्त भविष्य की कारों पर चर्चा करते थे. हम प्लान करते थे कि हम इन्हें कब खरीदेंगे. उन दिनों एक स्थानीय अखबार के मैंने फोर्ड फिगो का विज्ञापन देखा था. मुझे कार इतनी पसंद आई थी कि मैंने तय कर लिया था कि जब मेरे पर्याप्त पैसे होंगे, तब इसे खरीदूंगा.
भावेश के अनुसार वो एनआईटी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी), भोपाल, के स्टूडेंट थे. कोरोना महामारी के कारण उन्हें अपने कॉलेज का छात्रावास छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. जिसके बाद वो उन्हें अपने परिवार के सात अन्य सदस्यों के साथ एक छोटे से कमरे में रहे. इस छोटे से कमरे में ही उन्होंने खुद को तैयार किया. बड़ी कंपनियों में नौकरी के लिए इंटरव्यू दिए. अंतत: फोर्ड मोटर ने उन्हें एक इंजीनियर के रूप में चुन लिया, जोकि उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी. अपनी इस सफलता के लिए भावेश अपने परिवार को श्रेय देते हैं.