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मां-बाप हर परिस्थिति में अपने बच्चों के लिए समर्पित रहते हैं. बच्चे के जन्म लेने से लेकर अपनी अंतिम सांस तक, वह बच्चों के लिए फिक्रमंद रहते हैं. कर्नाटक के मैसुरु से सामने आई भावुक कर देने वाली एक खबर इसका ताजा उदाहरण हैं. यहां के गनीगरा कोप्पलु गांव में रहने वाले 45 वर्षीय आनंद के बेटे को दवा की सख्त ज़रूरत थी. मगर, पूरे जिले में लॉकडाउन के कारण उसे दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही थी.

ऐसे में आनंद ने तय किया कि वो किसी भी कीमत पर अपने बेटे तक दवा पहुंचाकर रहेंगे. इसके लिए उन्होंने साइकिल उठाई और अपने बेटे की दवा लाने के लिए 300 किलोमीटर की दूरी नाप डाली. बेंगलुरू पहुंचने के लिए उन्होंने बन्नूर मालवल्ली और कनकपुरा जैसे इलाकों को साइकिल से ही पार किया. इस दौरान उन्होंने तीन दिन तक साइकिल चलाई. आनंद की कहानी अब इलाके भर के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है.

आसपास के लोग उनकी हिम्मत की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आनंद पेशे से एक कुली हैं. सालों से बेंगलुरू के एक अस्पताल में उनके बेटे भैरश का इलाज चल रहा है. डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी है कि वो अपने बेटे के लिए दवा की एक भी खुराक मिस न करें. यही कारण रहा कि 23 मई को वो अपने घर से बेंगलुरु के लिए निकले और वहां से दवा लेकर 26 मई की शाम को वापस लौट आए. 

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