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दुनिया बहुत तेजी से विकास कर रही है. आज हम मंगल तक जाने में होने वाली परेशानी को भी खत्म कर चुके हैं मगर एक परेशानी ऐसी है जो सालों से इंसानों के बीच जमी पड़ी है. यह परेशानी कुछ और नहीं बल्कि इंसानों द्वारा रोज़ाना बढ़ता कचरा है. ये कचरा इतना ज़्यादा है कि आज न सिर्फ यह हमारी धरती बल्कि हमारे समंदर तक भी जाने लगा है. नालियों से समंदर में जाने वाला कचरा पूरी दुनिया के लिए एक मुसीबत बना हुआ है और ऐसे में ऑस्ट्रेलिया में इसका एक ऐसा इलाज सामने आया है कि दुनिया उसकी दीवानी हो गई है. तो चलिए जानते हैं कि कैसे ऑस्ट्रेलिया अपने समंदर को साफ रखने की कोशिश में लगा हुआ है.

कैसे तेजी से बर्बाद हो रहे हैं पूरी दुनिया के समंदर?

plastic waste henderson island

जिस रफ्तार से आज दुनियाभर में समंदर में इंसानों द्वारा निर्मित कचरा डाला जा रहा है उसके हिसाब से आने वाले समय में समंदर की हर लहर के साथ आपको बस कचरा ही वापस आता मिलेगा. इसके आंकड़े भी कुछ इस प्रकार है कि देखते ही हर कोई हैरान हो जाता है. माना जाता है कि हर साल हम अपने समंदर में करीब 5.25 खरब प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े डालते हैं.

दिखने में छोटे यह प्लास्टिक के टुकड़े जब एक साथ मिल जाते हैं तो विशाल रूप ले लेते हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक का आज के समय में इतना ज्यादा उपयोग हो रहा है कि कई अरब प्लास्टिक की थिलियाँ हर साल इस्तेमाल की जा रही हैं. हमारे समंदरों को खरब करने में प्लास्टिक तो एक मुख्य चीज़ है ही मगर एक चीज़ ऐसी ही जो हमारी सेहत, हवा और समंदर तीनों को बर्बाद कर रही है.

यह और कुछ नहीं यह है सिगरेट के टुकड़े. हर साल करीब 5.6 खरब सिगरेट दुनियाभर में पी जाती है जिनमें से करीब 4.6 खरब सिगरेट के बचे टुकड़े हमारी धरती, तट, नदियों और समंदर में जा मिलते हैं. इतना ही नहीं सिगरेट के इन टुकड़ों के साथ असली परेशानी यह है कि इन्हें नष्ट होने में कई दशकों का समय लग जाता है. यह अब तो बस महज़ कुछ आंकडें हैं मगर असल में समंदरों की हालत बर्बर है जिसे सुधारने के लिए पूरी दुनिया लगी हुई है. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया का एक छोटा सा शहर ऐसा तरीका दुनिया के सामने लाया की आज हर कोई उससे अपनाने की ओर कदम बढ़ा रहा है.

छोटे से शहर से शुरू हुई समंदर बचाने की मुहीम

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ये बात है ऑस्ट्रेलिया के शहर क्विनाना की. महज़ 39,000 की जनसँख्या वाला यह शहर आज दुनियाभर में प्रसिद्ध है. क्विनाना शहर में दो बहुत बड़ी नालियाँ हैं. शहर का अधिकाँश पानी यहाँ से हो कर समंदर में जाता है जिससे काफी नुक्सान हो रहा था. असली परेशानी थी बारिश. बारिश के समय पानी सड़कों से उठाकर कचरे को सीधा नालियों में और वहां से सीधा पाइप के जरिए उस सारे कचरे को समंदर में पहुंचा देती थी.

ऐसे में प्रशासन ने सोचा की क्यों न जो दो नालियाँ समंदर से जुड़ती हैं उनपर एक बड़ा जाला लगा दिया जाए जो थोड़ा बहुत कचरा समंदर में जाने से बचा लें. मार्च 2018 में उन्होंने जाला लगाया और महज़ तीन महीने में उन्होंने जो रिजल्ट देखा वो उम्मीद से बहुत ही ज्यादा था. जाला लगाने के बाद इतने कम वक्त में ही 370 किलो कचरा समंदर में जाने से रोक लिया गया.

इस कचरे में अधिकाँश खाने के पैकेट, बोतल, प्लास्टिक के टुकड़े आदि जैसी चीज़ें जमा थीं. हर कोई यह देखकर हैरान था कि उनका छोटा सा शहर तीन महीने में कितना ज्यादा कचरा पैदा करता है. ऐसे में जब उन्होंने अपने तरीके को सफल होते हुए देखा तो उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर शेयर करके सब को इसके बारे में बताना चाहा.

ये तरीका देखकर हैरान हो गयी दुनिया

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नालियों पर जाला लगाने और उस कचरे को वापस रीसायकल करने में क्विनाना शहर को महज़  20 हज़ार डॉलर खर्चने पड़े. अपनी इस सफलता को उन्होंने एक पोस्ट के ज़रिए फेसबुक पर शेयर किया और देखते ही देखते वह पोस्ट दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गया. उनका वह पोस्ट अब तक 25 मिलियन से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं. अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका जैसी जगहों से क्विनाना प्रशासन को फोन आ रहे हैं.

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