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महंगाई से रसोई में लगने वाला सरसों के तेल का तड़का महंगा हो गया है। सरसों के दाम करीब सात हजार रुपये प्रति क्विटल पहुंच गए हैं जिससे 190 रुपये प्रति लीटर तेल बिक रहा है। सतना व कानपुर की मंडी से माल न मिलने के कारण तेल की मंहगाई आसमान छू रही है।

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कोरोना क‌र्फ्यू के चलते करीब एक माह से बंदी चल रही है। ऐसे में बाहर की मंडियों से माल नहीं मिल रहा। जिससे बाजार में कई चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। मंहगाई का सबसे ज्यादा बोझ सरसों के तेल पर पड़ा है। मध्यप्रदेश के सतना व कानपुर मंडी से सरसो तेल न आने के कारण सरसो में अचानक तेजी आ गई है। एक माह के अंदर प्रति क्विटल डेढ़ हजार से अधिक कीमत बढ़ गई है।

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लगातार सरसो के तेल की कीमतें बढ़ने से मध्यम वर्गीय घरों की रसोई में दाल, साग, भाजी में लगने वाला छौंका महंगा हो गया है। अप्रैल में सरसों की कीमत प्रति क्विंटल 5200 रुपये थे। मई में 6800 से 7000 रुपये तक हो गई है। सरसो तेल के व्यवसायी श्यामू चौरसिया का कहना है कि सरसो की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने के चलते 190 रुपये प्रति किलो तेल की बिक्री हो रही है।जबकि बीते वर्ष इसकी कीमत 120 रुपये प्रति किलो ही थी।

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फसल में नहीं घटे दाम, और मंहगा हो सकता है तेल

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बांदा : सरसों रबी सीजन की फसल है। मार्च-अप्रैल के मध्य किसान इसकी मड़ाई कर बाजार में बेचते हैं। देखा जाए तो यही बिक्री का समय है। मंडी से लेकर फुटकर दुकानदारों के यहां किसान बिक्री कर भी रहे हैं। लोगों का कहना है कि फसल की आवक का समय है जब अभी तेल व सरसों के दाम इतने महंगे हैं तो आगे महंगाई और बढ़ सकती है।

– कोरोना काल में हमें महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। सरसों तेल किचन के लिए सबसे आवश्यक है, वह भी महंगा हो गया है। -आशा पांडेय, गृहणी – मंहगाई में किचन का बजट संभालना मुश्किल हो गया है। बहुत संभाल कर किसी प्रकार घर परिवार चला रहे हैं। -महिमा मिश्रा, गृहणी

साभार – dainikjagran

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