चक्रवाती तूफान यास से बंगाल में हुए नुकसान का आकलन करने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुक्रवार को कोलकाता में बुलाई गई बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल नहीं हुई। यह नहीं, ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले मुख्य सचिव अलापन बंद्दोपाध्याय भी 30 मिनट देरी से पहुंचे। इसके बाद जहां केंद्र सरकार ने अलापन पर कार्रवाई की है, वहीं ममता के बर्ताव के लिए केंद्रीय मंत्रियों व भाजपा नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की है। पूरे देश में ममता बनर्जी की किरकिरी हो रही है।
बंगाल के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय ( Alapan Bandyopadhyay) को केंद्र ने दिल्ली तलब कर लिया है। बतौर मुख्य सचिव उनका कार्यकाल खत्म हो गया था, लेकिन 24 मई को ही ममता सरकार ने तीन महीने के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया था। अलापन बंद्योपाध्याय को ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश के मुताबिक अलापन बंद्योपाध्याय को अब केंद्र में नई जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्हें 31 मई की सुबह 10 बजे से पहले रिपोर्ट करना है। केंद्र सरकार ने बंगाल सरकार से उन्हें जल्द से जल्द रिलीव करने का अनुरोध किया है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को ही अलापन को दीघा विकास प्राधिकरण के प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी थी।
ममता बनर्जी के रुख पर भड़के भाजपा नेता
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगाल की जनता के साथ इतनी मजबूती से खड़े हैं तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी जनता की भलाई के लिए अपने अभिमान को दूर रखना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक में उनकी गैरमौजूदगी संवैधानिक नैतिक मूल्य व संघीय ढांचे में सहयोग की भावना की हत्या है। ममता की ओछी राजनीति बंगाल की जनता को फिर से भयभीत करने लगी है। – जेपी नड्डा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
यह बंगाल के जनादेश का अपमान है। जीत से विनम्रता की भावना पैदा होती है, लेकिन दुर्भाग्यवश ममता बनर्जी में अभिमान बढ़ रहा है। यह सच है कि बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी, सुवेंदु अधिकारी से हार गई थीं, लेकिन अब चुनाव खत्म हो गया है। क्या ममता बनर्जी हर बार सुवेंदु अधिकारी को देखकर भाग जाएंगी? क्या यह बंगाल की जनता के साथ छल नहीं है कि ऐसी विपदा की स्थिति में भी ममता जनता की जरूरत के बजाय राजनीति को ज्यादा महत्व दे रही हैं। – धर्मेंद्र प्रधान, पेट्रोलियम मंत्री
साभार – dainikjagran