blank 6 29

प्लास्टिक से बढ़ते प्रदूषण भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व के लिए एक संकट का विषय बन गया है।प्लास्टिक के ज्यादा प्रयोग से पर्यावरण और मानव जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जिसके कारण हम कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हों। पहले गांवो में लोग खाने के लिए प्लास्टिक के प्लेट के जगह केले के पत्ते का उपयोग किया करते थे तो शहर के लोग ऐसे लोगों के लिए देहाती- गंवार जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे। धीरे-धीरे गाँव में रहने वाले लोग भी अपने रहन- सहन तथा खान-पान का प्राकृतिक अलगाव करके शहरीकरण कर लिए।

अब आज अनियमित दिनचर्या तथा खान-पान में बदलाव के कारण जब सेहत खराब हो रहा है तो लोग फिर से प्राकृतिक उत्पाद के तरफ झुकाव कर रहे हैं। आज हम बात करेंगे, 20 वर्षीय टेनिथ आदित्य (Tenith Aditya) की। जिन्होंने “केले के पत्ते की तकनीक” का अविष्कार किया हैं और पर्यावरण प्रेमी के रूप उभर कर सामने आए है।

कौन है, टेनिथ आदित्य

20 वर्षीय टेनिथ आदित्य (Tenith Aditya) , तमिलनाडु (Tamilnadu) के विरुधुनगर जिले के सुदूर गांव के रहने वाले है। इन्होंने इतने कम उम्र में “केले के पत्ते की तकनीक” का अविष्कार कर आज हम सबके लिए सबक तथा एक मिशाल कायम किया है।

एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में, टेनिथ आदित्य ने बताया कि, “जब मैं 10 साल का था तब मेरे गांव में केले की बहुत उपज हुआ करती थी। मेरे गांव में उस समय ज्यादातर किसान गरीब थे। वो अपनी आय बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत करते थे। उस समय मैं अक्सर किसानों को देखता था कि वो केले के पत्ते का बड़ा हिस्सा फेंक देते थे और केवल उपयोगी अंश को उपयोग करते थे। तब मुझे महसूस हुआ कि जो केला का बेकार हिस्सा फेका जा रहा है उसका भी सदुपयोग करके व्यवसायिक उपयोग में लाया जा सकता है और उससे किसानों को आय में वृद्धि भी हो सकती है।

उसी समय से मैं इस अविष्कार में जुट गया। जब मेरे गांव के मेरे उम्र के बच्चे बुनियादी गणित तथा विज्ञान सीख रहे थे तब मैं तकनीक के आविष्कार में जुटा रहा। मैं स्कूल के बाद विभिन्न प्रकार का तरीकों का प्रयोग करता था, जिससे केले के पत्तो को मूल्यवान बनाया जा सकें। बहुत जल्द मुझे समझ मे आ गया कि केले के पत्ते का उपयोग केवल किसानों का आय बढ़ाने में ही नही बल्कि इसका उपयोग” एकल उपयोग प्लास्टिक” तथा “परिणामी अपशिष्ट संकट” जैसी दो पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने में भी किया जा सकता है।”

18 साल की उम्र में की अपने स्टार्टअप की शुरुआत

18 साल की उम्र में ही टेनिथ आदित्य ने एक स्टार्टअप “टेनिथ इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड” की शुरूआत किया और उसके सीईओ बन गए। उनके इस स्टार्टअप में केले के पत्ते से प्लेट, कप आदि जैसी चींजे बनाई जाती है। टेनिथ आदित्य का कहना है कि, लोग प्लास्टिक से बने प्लेट, स्ट्रॉ, कप और पॉलिथीन का उपयोग करने के आदि होते जा रहे है। इन चीजों का उपयोग आप एक बार करते है और कचरो का पहाड़ बना देते है।

इसलिए मैने ऐसा तकनीक बनाया, जो बिना किसी केमिकल के प्रयोग किये केले के पत्तो को तीन साल से अधिक समय तक सुरक्षित रखती है तथा इसके स्थायित्व को भी बढ़ाता है। जो पत्तियां संरक्षित होती है वो अत्यधिक तापमान का विरोध कर सकती हैं तथा वो अधिक वजन धारण कर सकती हैं मूल पत्तियों की तुलना में। प्लास्टिक से बने प्लेटों और कपों को बनाने की लागत की तुलना में केले के पत्ते से बना प्लेट और कप की निर्माण लागत बहुत कम है तथा इसके उपयोग के बाद हम मवेशियों को चारे के रूप में डाल सकते है या फिर खाद रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

“बनाना लीफ टेक्नोलॉजी’ के लिए मिली कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

टेनिथ आदित्य का कहना है कि, “इस तकनीक (बनाना लीफ टेक्नोलॉजी) के लिए मुझे दो राष्ट्रीय पुरस्कार तथा सात से अधिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले है। इन पुरस्कारों में प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय हरित प्रौद्योगिकी पुरस्कार और भविष्य के लिए प्रौद्योगिकी पुरस्कार भी शामिल हैं। ये सब पुरस्कार मुझे इस तकनीक के किफायती, नवोन्मेषी और पर्यावरणीय प्रभाव के कारण मिली हैं।”

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.