दोस्तों सफलता की राह में आने वाली असफलताओं से हार मान लेना आसान है. लेकिन बलिया के परियोजना निदेशक (PDS) उमेश मणि त्रिपाठी ने साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प मेहनत से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है. जी हाँ दोस्तों उमेश मणि त्रिपाठी की कहानी काफी प्रेरणादायक है. उमेश मणि त्रिपाठी की सफलता की कहानी एक ऐसी कहानी है जिसे सभी युवा को प्रेरणा लेनी चाहिए. जो युवा अपने जीवन में आगे बढ़ने की सोच रहे है उन्हें उमेश मणि त्रिपाठी की कहानी एक बार जरुर जाननी चाहिए.

उमेश मणि त्रिपाठी का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के गोर्डी गांव में हुआ था. वे अक्सर देखते की सूबे में सरकारी योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुच पाता है. उन्हें बचपन में ठान लिया था की वे सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य करेंगे. उनके सपनों की नींव गांव की सरल और संघर्षपूर्ण जिंदगी ने रखी. उन्होंने अपने गांव से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने गोरखपुर से 1986 में ग्रेजुएशन किया.

ग्रेजुएशन के बाद उमेश मणि ने लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी शुरू की. उन्होंने तीन बार प्रयास किया. लेकिन सफलता उनसे दूर रही. हर बार असफलता का सामना करने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. उमेश मणि त्रिपाठी ने जीवन का लक्ष्य स्पष्ट था, और वे अपनी मेहनत पर अडिग रहेंगे. लगातार मेहनत और दृढ़ता के बल पर आखिरकार उन्हें सफलता मिली. उनकी नियुक्ति परियोजना निदेशक (PDS) बलिया के पद पर हुई.

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