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कंकरखेड़ा के नटवेश्रर पुरम निवासी सहदेव ठाकुर स्वजन संग रहते हैं। करीब दो सप्ताह पहले उनके बेटे रविंद्रनाथ ठाकुर की कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। उन्होंने बेटे को आईआईएमटी अस्पताल में भर्ती करा दिया था। उसके कुछ दिनों बाद दूसरे बेटे प्रवीण ठाकुर भी पाजिटिव आ गए। उन्होंने दूसरे बेटे को बागपत रोड स्थित सिरोही हास्पिटल में भर्ती करा दिया। धीरे-धीरे संक्रमण ने दोनों बेटों के परिवार को भी अपनी चपेट में ले लिया। चिकित्सक से परामर्श के बाद परिवार के अन्य सदस्यों को होम आईसोलेशन में कर दिया गया।

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सहदेव मुसीबत की घड़ी में परिवार को संभालने में जुटे हुए थे। इसी बीच अचानक दोनों बेटों की हालत खराब हो गई। सुबह के समय रविंद्र और शाम को प्रवीण ने दम तोड़ दिया। दो जवान बेटों की मौत की खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। उन्होंने बेहद नम आंखों से अपने पौत्र से बेटों को मुखाग्नि दिलाई। बेटों की धधकती चिता के सामने उन्हें खड़ा देख हर कोई अपनी आंखों से आंसू पोंछ रहा था।

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समझाने के बाद पिता को दी मुखाग्नि

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जिस पिता ने अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए दिन रात एक कर दिए। खुद का जीवन बच्चों का भविष्य संवारने के लिए त्याग दिया। गुरुवार को उन्हीं का बेटा कोरोना संक्रमण के डर से पिता को मुखाग्नि देने में सहम गया। पहले तो उसने मुखाग्नि देने से ही इंकार कर दिया, बेटे की बात सुनकर अन्य रिश्तेदार भी सकते में आ गए। हालांकि उन्होंने बमुश्किल बेटे को समझाकर मुखाग्नि देने के लिए तैयार किया। चिता पर लकड़ी लगाते समय व अंतिम आहुति देने के बाद बेटा खुद को बार-बार सैनिटाइज करता रहा। हालांकि यह दृश्य देखकर पुरोहितों ने मृतक के बेटे को बताया कि संक्रमित शव के संपर्क में आने से हर व्यक्ति संक्रमित नहीं होता। चिकित्सक, पुरोहित व अन्य लोग भी तो संक्रमित लोगों के संपर्क में आते हैं। ऐसी स्थिति में सावधानी व धैर्य रखना बेहद जरुरी है।

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आक्सीजन मिल जाती तो बच जाती जान: बागपत रोड स्थित एक कालोनी निवासी सुनील कुमार के मुताबिक उनकी पत्नी नम्रता की करीब एक सप्ताह से तबीयत खराब हो रही थी। अचानक नम्रता का आक्सीजन लेवल कम होने लगा। वह पत्नी को आनन फानन में मेडिकल कालेज लेकर पहुंचे लेकिन वहां भी समय पर बेड नहीं मिला और महिला की मौत हो गई।

साभार – dainikjagran

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