गरीबों के मसीहा, रॉबिनहुड जैसे नाम से जाने जा रहे बिहार के राजनेता और पूर्व सासंद पप्पू यादव (Pappu Yadav) अपनी गिरफ्तारी को लेकर इन दिनों काफी चर्चा में हैं. कोरोना काल में लोगों की सेवा करने के बाद एंबुलेंस प्रकरण (Chapra Ambulance Case) के कारण सुर्खियों में आये पप्पू यादव फिलहाल सुपौल की जेल में बंद हैं जिसके बाद उनकी रिहाई को लेकर सड़क से सोशल मीडिया तक मुहिम चल रही है. ऐसे में उनसे जुड़ीं कई कहानियां भी सामने आ रही हैं.
दरअसल इस राजनेता की जिन्दगी काफी रोचक रही है. वो भले रंजीत रंजन से प्रेम विवाह किये हों लेकिन वो कभी प्यार के दुश्मन भी बने थे. ये बात बहुत कम लोगों को पता होगा. इस बात का खुलासा उस 32 साल पुराने केस की कहानी से हुआ जिस मामले में उनको पुलिस ने गिरफ्तार किया है. मामला 1989 का है जब पप्पू पूर्णिया में पढ़ाई करते थे. मुरलीगंज में उनके कई साथी थे और वे अक्सर यहां आते-जाते रहते थे. उनका एक दोस्त एक लड़की से प्यार करता था और उससे वो शादी करना चाहता था. पप्पू इस शादी के खिलाफ थे और इसी मामले में उनका उनके सथियों से विवाद हो गया.
दोस्तों की जुबानी अपहरण की कहानी
घटना की शुरूआत केपी कॉलेज के मैदान में हुई. इसी मैदान पर पप्पू यादव और उनके मित्रों में प्रेम विवाह को लेकर बहस हुई थी. केस के सूचक शैलेन्द्र यादव जो अभी ग्वालपाड़ा थाना क्षेत्र के बीरगावं चतरा पंचायत के सरपंच भी हैं बहस के एक-दो दिन बाद हम लोग मुरलीगंज के मीडिल चौक पर पान खा रहे थे, इसी दौरान पप्पू अपने साथियों के साथ आए थे और हमारे दो साथियों को अचानक उठाकर अपने साथ ले गए. हम सब कुछ समझ नहीं पाए और सुरक्षा के लिए थाना में आवेदन दे दिया लेकिन दो दिनों के बाद दोनों साथी सकुशल वापस आ गए.
एक साल बाद ही बन गए विधायक
कुछ दिनों के बाद पप्पू यादव अन्य मामले में गिरफ्तार भी हुए और फिर बेल पर बाहर भी निकले. इधर उस दोस्त की भी शादी उसकी प्रेमिका से हो गयी फिर सबकुछ सामान्य हो गया. पप्पू भी राजनीति में आ गए. एक साल बाद ही 1990 में सिंहेश्वर से पहली बार निर्दलीय विधायक बने और इस तरह से पप्पू का राजनितिक करियर आगे बढ़ता चला गया. इस प्रेम विवाह ने हम सभी दोस्तों को दो गुटों में बांट दिया था. पप्पू इसका विरोध करते थे जबकि हम सब शादी के पक्ष में थे. शैलेन्द्र बताते हैं कि मामला तो कब का खत्म हो चुका था. हम सब दो-दो बार न्यायालय में पिटीशन भी दे चुके थे. इस कांड के अन्य आरोपी बरी भी हो गए लेकिन अचानक इस मामले में पप्पू की गिरफ़्तारी समझ से परे है, यह जरूर राजनीतिक साजिश है.
केस नंबर 9/89
मुरलीगंज थाना के इसी मामले में पप्पू को आज पुलिस ने जेल में डाला है. पप्पू और उसके अन्य साथियों पर रामकुमार यादव और उमा यादव के अपहरण का आरोप है. इसके सूचक शैलेन्द्र यादव थे. इस मामले के एक अन्य गवाह कृतनारायन यादव भी इस 32 साल पुराने मामले में पप्पू की गिरफ़्तारी से सकते में हैं. वो तो सीधे कहते हैं भाजपा सांसद के एम्बुलेंस प्रकरण को उजागर करना ही पप्पू को भारी पड़ा और सरकार ने उन्हें साजिश के तहत जेल भेज दिया. इस समय रामकुमार यादव और उमा यादव केपी कालेज के छात्र थे. केपी कालेज के शिक्षक रहे प्रो. नागेन्द्र यादव को पप्पू की गिरफ़्तारी की सूचना अख़बार से मिली वो भी काफी चिंतित हैं.
गिरफ्तारी पर बोले दोस्त
32 साल पुरानी इस घटना को याद करते हुए वो कहते हैं कि उस समय काफी हल्ला हुआ हुआ था कि पप्पू यादव कालेज के दो छात्रों का अपहरण कर लिया है लेकिन एक दो दिन बाद ही हमारे दोनों छात्र सकुशल वापस आ गए थे. बाद में अपहरण का बात छात्रों का आपसी विवाद निकला. जब उनसे पूछा गया 32 साल बाद पप्पू की गिरफ्तारी को आप क्या मानते हैं? तो उन्होंने कहा कोरोना काल में जो वो इतनी सेवा कर रहे थे उस हालत में ऐसे गिरफ्तार किया जाना दुखद है.
साभार – News 18