जन अधिकार पार्टी के मुखिया और पूर्व सांसद पप्पू यादव को मंगलवार को दिनभर गांधी मैदान थाने में बिठा कर रखने के बाद पुलिस उन्हें 30 साल पूर्व एक मामले में मधेपुरा ले गई. इससे पहले पप्पू यादव ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे भाजपा के इशारे पर गहरी साजिश के तहत जेल भेजा जा रहा है, जबकि मैंने पिछले डेढ़ महीने से लोगों को बचाकर नीतीश कुमार की ही मदद की. मैं नीतीश कुमार से पूछना चाहता हूं कि आखिर जो मामला हाई कोर्ट में लंबित है, उस मामले में कोरोना काल मे गिरफ्तारी क्या जरूरी थी? पप्पू यादव ने भावुक होते हुए कहा कि आज मेरा टेस्ट भी नेगेटिव आया है और अगर मैं कोरोना पॉजिटिव हुआ और मेरे साथ कोई हादसा होता है, तो इसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार होंगे. उन्होंने कहा कि मुझे मरने का डर होता तो मैं अपने ऑपरेशन के बाद 3 महीने के बेड रेस्ट को छोड़कर अस्पतालों में कोरोना पीड़ितों के बीच दवाई, कंधे पर सिलिडर और शमशान तक में लोगों को सहायता नहीं कर रहा होता.
उन्होंने कहा, “नीतीश जी अगर मेरे मरने से बिहार की जनता की जान बचती है, तो ऐसे सौ जान कुर्बान लेकिन आपसे आग्रह है कि तमाम नेताओं के अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में चल रहे लूट के धंधे को बंद कर दीजिए. इससे कई लोगों की जान बच जाएगी.”
पप्पू यादव ने तमाम विपक्ष से मिले सपोर्ट का आभार व्यक्त किया और लालू यादव से आग्रह कि बिहार को बचाने में संघर्ष तेज करें. एक सवाल के जवाब में पूर्व सांसद पप्पू यादव ने ये भी कहा कि अगर आज हम जेल में है तो तेजस्वी यादव सड़क पर उतरें, अस्पतालों में दवा लेकर जाएं, लोगों को बेड उपलब्ध कराएं. हमारे लोग हमेशा उनके साथ रहेंगे.
अंत मे पप्पू यादव ने कहा कि सरकार की नीयत इतनी खराब है कि आज गरीब लोगों को हर रोज जाने वाले खाने को बंद करा दिया, इसलिए जब तक बिहार के मेरे गरीब भाई बहन और असप्तालों में कोरोना का इलाज करा रहे लोग भूखे रहेंगे, तब तक मैं भी पानी का एक घूंट भी नहीं लूंगा.