blank 27 6

गोरखपुर में कोरोना संक्रमितों के लिए बेहतर स्वास्थ सुविधाएं होने का दावा तो किया जा रहा है लेकिन हकीकत वैसी नहीं है। ऐसी ही एक तस्वीर गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज से सामने आई है। यहां सोमवार को जिस वक्त सीएम योगी आदित्यनाथ बीआरडी मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ व्यवस्थाओं को परख रहे थे, ठीक उसी वक्त यहां एक मरीज स्वास्थ्यकर्मियों की असंवेदनशीलता के चलते दम तोड़ गया। स्ट्रेचर नहीं मिला तो छोटे भाई ने कंधे पर लादकर बड़े भाई को अस्पताल के रिसेप्शन तक पहुंचाया। वहां भी उखड़ रही सांसों को ऑक्सीजन का सहारा नहीं मिला। आखिरकार मरीज ने वहीं पर दम तोड़ दिया। उस समय मुख्यमंत्री योगी वहीं मेडिकल कॉलेज में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे।

Also read: बिहार में 1431.36 करोड़ से बनेगी फोरलेन सड़क, इन जिलों से गुजरेगी सड़क

जानकारी के मुताबिक, भटहट के धोरकीमागी का रामबदन साहनी (35) हैदराबाद में पेंट-पालिश का काम करता था। वह तीन दिन पहले हैदराबाद से घर लौटा था। दो दिन से उसकी तबीयत खराब थी। रविवार की रात में हालत ज्यादा बिगड़ गई। परिजनों ने एम्बुलेंस के लिए कई बार फोन किया। लेकिन एम्बुलेंस नहीं आई। सोमवार की सुबह छोटे भाई विष्णु ने एक बार फिर एम्बुलेंस बुलाने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। इस बीच रामबदन की सांस तेजी से फूलने लगी। इसके बाद विष्णु दोस्त की मदद से बड़े भाई को बाइक से ही लेकर बीआरडी के 300 बेड वाले कोविड वार्ड लेकर पहुंच गया। बीआरडी पहुंचते रामबदन की हालत काफी गंभीर हो गई।

Also read: बिहार को वंदे भारत ट्रेन की सौगात, इन जिलों में चलेगी यह ट्रेन

नहीं दिया स्ट्रेचर तो कंधे पर ले गया भाई

Also read: बिहार के लिए चलेगी दर्जनों स्पेशल ट्रेन, जाने रुट के साथ किराया

300 बेड का कोविड वार्ड जिस भवन में है उसका पोर्टिको काफी ऊंचाई पर है। एंबुलेंस तो पोर्टिको तक पहुंच जाती है लेकिन मरीज लेकर बाइक से वहां तक नहीं पहुंचा जा सकता है। ऐसे में भाई को लेकर पहुंचे विष्णु ने पोर्टिको से आगे स्थित पूछताछ काउंटर पर पहुंचकर स्ट्रेचर मांगा लेकिन कर्मचारियों ने कहा कि स्ट्रेचर मरीज को अंदर ले जाने के लिए है। इसे बाहर ले जाने के लिए नहीं दे सकते।

इस पर विष्णु बड़े भाई को कंधे पर लाद कर पूछताछ काउंटर तक ले गया। वहां भी उसे लिटाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिला। विष्णु ने ऑक्सीजन मांगी तो कर्मचारियों ने हाथ खड़े कर दिए। इसी बीच रामबदन के शरीर की हरकत बंद हो गई। उसकी सांसें थम गईं। विष्णु ने कहा कि समय से इलाज न मिल पाने से भाई की मौत हो गयी। उसकी मौत के बाद भी कर्मचारी संवेदनहीन बने रहे। दो घंटे तक मनुहार के बाद शव को पैक किया गया। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. पवन प्रधान का कहना है कि मरीज को हर हाल में स्ट्रेचर मिलना चाहिए था। स्ट्रेचर की कमी भी नहीं है। कुछ कर्मचारियों की वजह से पूरे संस्थान की छवि प्रभावित होती है।

साभार – dainik bhaskar

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.