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कोरोना की मार ने महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) के फार्म हाउस के तरबूज और खरबूज के मीठे स्वाद को भी फीका कर दिया है. बाजार में फार्म हाउस के दोनों आउटलेट पर तरबूज और खरबूज की बिक्री नहीं के बराबर हो रही है. इसके पीछे बड़ी वजह लॉकडाउन में लोगों के घरों से बाहर निकलने की पाबंदी है, तो दूसरी तरफ लोग कोरोना काल में ठंडे फलों को खाने से भी परहेज कर रहे हैं.

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रांची के बाजार में ईजा फार्म हाउस के आउटलेट संचालक अरशद आलम ने बताया कि फार्म हाउस से हर दो दिन पर करीब 3 टन तरबूज और खरबूज आउटलेट में पहुंच रहा है. तरबूज की बिक्री जहां होलसेल में स 6/ रुपए प्रति किलो रखी गई है. वहीं खुदरा बाजार में इस से 9 से ₹10 प्रति किलो बेचा जा रहा है. वही खरबूज की कीमत होलसेल में ₹15/ किलो और खुदरा में 20- ₹25 की दर से रखी गई है. लेकिन राजधानी समेत राज्य भर में लगे आंशिक लॉकडाउन, घरों से निकलने की पाबंदी और ठंडे फलों के खाने से परहेज के कारण तरबूज और खरबूज की बिक्री बिल्कुल डाउन हो चुकी है. आलम यह है कि किलो के हिसाब से बिकने वाला तरबूज अब पीस के हिसाब से बिक रहा है.

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धोनी ने अपने फार्म हाउस में करीब साढ़े 5 एकड़ में तरबूज की उन्नत किस्म 2204 प्रजाति लगाई है. जिसकी इस बार बंपर पैदावार हुई है. एक तरबूज का वजन 6 से 8 किलो के बीच का है. फार्म हाउस में बड़े पैमाने पर बॉबी किस्म के खरबूजे की भी बंपर पैदावार हुई है. इन खरबूजों में बायो फर्टिलाइजर, जीवामृत और अमृत जल का इस्तेमाल किया गया है. लिहाजा यह खरबूजे सेब की तरह मीठे हैं. बावजूद इसके कोरोना काल में यह बिक नहीं पा रहे हैं.

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महेंद्र सिंह धोनी के एग्रीकल्चर एडवाइजर रोशन कुमार ने दो महीने पहले फार्म हाउस में तरबूजों और खरबूज के बंपर पैदावार और अच्छी आमदनी की उम्मीद जताई थी. उन्होंने कहा था खास किस्म का खरबूज झारखंड में बेहद पसंद किया जाएगा. क्योंकि लोगों ने अब तक फीके खरबूजों का ही स्वाद चखा है. जीवामृत और अमृतजल वाले नए खरबूजों का स्वाद उन्हें दीवाना बना देगा. लेकिन कोरोना ने तमाम दावों को बौना साबित कर दिया.

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