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21वीं सदी में भी महिलाओं का श्मशान घाट जाना वर्जित है. समाज में एक परंपरा है… महिलाएं श्मशान घाट नहीं जाती हैं. लेकिन जब पति की इच्छा हो तो पत्नी का इसे निभाना फर्ज हो जाता है. इस बात को मीना देवी ने साबित कर दिया है. उन्होंने पति की आखिरी इच्छा का सम्मान किया. पति कृष्णानंद मिश्र ने इच्छा जतायी थी कि मुझे मुखाग्नि तुम ही देना. खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड के सियादतपुर अगुवानी पंचायत के राका गांव निवासी मीना देवी के इस कार्य की चहुंओर सराहना हो रही है.

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कुछ दिनों से थे अस्वस्थ

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खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड के सियादतपुर अगुवानी पंचायत के राका गांव निवासी कृष्णानंद मिश्र काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे. इस बीच कोरोना संक्रमण काल में उनके परिजन इलाज के लिए उन्हें पटना ले गए. लेकिन उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ. जिसके बाद उन्हें पैतृक गांव राका लाया गया. जहां गुरुवार को उनका निधन हो गया.

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नहीं थी कोई संतान

मिश्र दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी. परिजनों ने बताया कि मृत्यु से पूर्व उन्होंने अंतिम संस्कार पत्नी के हाथों से ही कराए जाने की इच्छा जताई थी. मौत के बाद अपने पति की इच्छा का उनकी पत्नी ने सम्मान किया. मीना देवी ने अगुवानी गंगा घाट पहुंचकर दर्जनों परिजनों की मौजूदगी में पति को मुखाग्नि दी.

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