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कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप लगातार जारी है। इस बार कोरोना वायरस में कई बदलाव हुए हैं, जिससे  संक्रमण के लक्षणों में बदलाव देखने को मिल रहा है। हालिया किए गए एक सर्वे के मुताबिक, महामारी से हर पांच में से एक बड़े व्यस्क का मानसिक स्वास्थ्य और नींद प्रभावित हो रही है। 

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सर्वे में पाया गया कि मार्च 2020 से बड़े व्यस्कों के मानसिक स्वास्थ्य और नींद पर कोरोना महामारी का बुरा असर हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थकेयर पॉलिस एंड इनोवेशन इन यूएस ने यह सर्वेक्षण किया है। इसमें 50 से 80 साल की उम्र के करीब 2000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया।

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जनवरी के अंत में हुए इस सर्वे में पाया गया कि ज्यादा उम्र वाले व्यस्क ज्यादा निराश, घबराए हुए, चिंचित और तनाव में थे। इसके अलावा चार में से एक प्रतिभागी कोरोना काल के पहले के मुकाबले ज्यादा बैचेन और चिंतित दिखाई दिए।  

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इस सर्वे के मुताबिक प्रतिभागियों में से करीब 28 प्रतिशत निराश दिखे तो वहीं 34 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बेचैनी की शिकायत की।  इसके साथ ही 44 प्रतिशत प्रतिभागी तनावग्रस्त पाए गए। इनमें से करीब 64 प्रतिशत ने नींद की समस्या बताई। सर्वे में साफ हुआ कि वायरस ने बुजुर्गों की मानसिक सेहत पर बुरा असर डाला है। 

इस दिशा में विशेष ध्यान देने की जरूरत 
मिशिगन मेडिसिन की जीरियाटिक साइकिएट्रिस्ट लॉरेन गेरलैच के अनुसार, कोरोना महामारी के नए दौर में प्रवेश करते समय जब ज्यादा बुजुर्गों को टीका लग रहा है, हमें मानसिक स्वास्थ्य जांच तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करनी होगी। इसके साथ ही लंबे समय तक तनाव के समय के प्रभाव को पहचान कर से निपटने के लिए व्यवस्था भी करनी होगी।

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