देश के कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लॉकडाउन (Lockdown) लगने के बाद से प्रवासी मजदूरों (Migrant Laborers) का पलायन शुरू हो गया है. प्रवासी अपना-अपना सामान लेकर घर लौटने लगे हैं. उन्हें डर है कि लॉकडाउन लंबा खीच गया तो खाने के लाले पड़ जाएंगे.

दिल्ली में रहने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ-साथ ऑटो-टैक्सी चालक अब घर लौटने लगे हैं. ऐसा ही एक परिवार उमेश शर्मा का है, जो बिहार के सुपौल जिले का रहने वाला है. यह परिवार पांच दिनों के सफर के बाद मंगलवार शाम ऑटो से सुपौल पहुंचा है.

परिवार का मुखिया उमेश शर्मा मुताबिक, ‘दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बाद मुझको खाने के लाले पड़ गए. केजरीवाल सिर्फ बोलते हैं, लेकिन मदद हमलोगों तक नहीं पहुंची. हमलोग सड़क पर आ गए तो फैसला किया कि अब ऑटो से ही घर निकल जाएं. ऑटो से ही सुपौल के लिए रवाना हो गए. मंगलवार को पांच दिनों की यात्रा करने के बाद गांव पहुंचे हैं.

पांच दिन में पहुंचा सुपौल
ऑटो से दिल्ली से सुपौल तक यात्रा करने वाला यह परिवार दिल्ली के केजरीवाल सरकार की व्यवस्था को नाकाफी बताया है. इस परिवार की एक महिला रंजू देवी कहती है मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं. मेरे पति का काम बंद हो गया था. हमलोग रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं. अगर लॉकडाउन लंबा रहता तो हमलोग मर जाते. इसलिए अपने घर आ गए हैं.

17 अप्रैल से कामकाज नहीं मिल रहा था

गौरतलब है कि दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बाद यह एक अकेला परिवार नहीं है जो रोजी-रोटी छिन जाने के बाद घर पहुंचा है. उमेश शर्मा जैसे सैकड़ों परिवार हैं जो दिल्ली से पलायन कर अपने-अपने गांव पहुंचे हैं. यह परिवार मंगलवार को ही दिल्ली से ऑटो किराये पर लेकर सुपौल पहुंचा है. परिवार सुपौल के हरदी गांव का रहने वाला है. परिवार का मुखिया ऑटो चलाने का करता था. दिल्ली में 17 अप्रैल के बाद इस परिवार को भोजन पर भी आफत आने लगी थी.

हालांकि, दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि दिहाड़ी मजदूर, निर्माण कार्य में लगे 2,10,684 पंजीकृत श्रमिकों को 5-5 हज़ार रुपये और दो महीने मुफ्त राशन देंगे. इसके साथ ही 75 लाख राशन कार्डधारकों को भी दो महीने मुफ्त राशन देगी. इसके बावजूद दिल्ली से पलायन शुरू हो गया है.

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