कोरोना की दूसरी लहर से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। कोरोना से बेकाबू हो रहे हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से लॉकडाउन पर विचार करने की बात कही है। कोरोना के संक्रमण को काबू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विचार को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोक कल्याण के हित में दूसरी लहर पर अंकुश लगाने के लिए लॉकडाउन लगाने पर विचार केंद्र और राज्य सरकार कर सकते हैं।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर में स्थिति गंभीर होता देख सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही मामले को संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है यदि किसी मरीज के पास किसी राज्‍य/केंद्र शासित प्रदेश का स्‍थानीय पता प्रमाण पत्र या आईडी प्रूफ नहीं है तो भी उसे हॉस्पिटल में भर्ती करने और जरूरी दवाएं देने से मना नहीं किया जा सकता है।

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केंद्र सरकार इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर अस्पताल में भर्ती होने संबंधी राष्ट्रीय नीति लाए। यह नीति सभी राज्य सरकारों की ओर से मानी जानी चाहिए। जब तक नीति नहीं बनती है तब तक किसी भी मरीजों को बिना स्थानीय एड्रेस प्रूफ या आईडी प्रूफ के भी हॉस्पिटल में भर्ती होने से रोका नहीं जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोरोना वायरस की वैक्सीन का मूल्य निर्धारण और उसकी उपलब्धता, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की उपलब्धता पर फिर से विचार करने की बात कही। वही कोरोना से बेकाबू हो रहे हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से लॉकडाउन पर विचार करने की बात कही है।

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