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गरीबी में पले-बढ़े, चपरासी पिता के बेटे नुरूल हसन ने कड़ी मेहनत से किया UPSC टॉप, बने IPS अफसर

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आज हम आपको ऐसे ही एक पक्के इरादों और पढ़ने की सच्ची लगन वाले यूपीएससी कैंडिडेट के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत से संघर्षों का सामना किया लेकिन कभी उससे हारे नहीं और फलस्वरूप उन्हें कामयाबी मिली।

IPS नुरूल हसन (IPS Noorul Hasan)

हम बात कर रहे हैं पीलीभीत, उत्तर प्रदेश के रहने वाले नुरूल हसन के बारे में, जिनका जीवन बेहद ग़रीबी और अभावों के बीच गुजरा पर उन्होंने कभी इसका ग़म नहीं किया, बल्कि पूरी मेहनत से पढ़ाई में लगे रहे और अपनी तक़दीर ख़ुद लिखी। उनके पिताजी एक छोटी-सी नौकरी किया करते थे। जिनकी आमदनी इतनी नहीं होती थी कि उससे घर और सभी बच्चों की ज़रूरतें पूरी की जा सकें। जैसे तैसे कटौती करके सबको दो वक़्त का खाना और बेसिक शिक्षा ही मिल पाती थी। परन्त बच्चों ने और विशेष तौर पर नुरूल ने तो कभी इन समस्याओं की शिकायत उनके परिवार से नहीं कि बल्कि उन्होंने तो काफ़ी कम आयु से ही घर सम्भालने में मदद करनी शुरू कर दी।

इस तरह से जीवन की परेशानियों को देखते हुए उन्होंने UPSC परीक्षा देकर सिविल सेवाओं में जाने का निश्चय किया, ताकि उनके साथ-साथ अन्य लोगों का भी जीवन सुधर सके। फिर अपने अथक प्रयासों से नुरुल IPS ऑफिसर बने। चलिए जानते हैं उन्होंने सँघर्ष व अभावों के बावजूद सफलता का परचम कैसे लहराया…

यहां देखें IPS Noorul Hasan का इंटरव्यू वीडियो

स्कूल की छत से टपकता था बारिश का पानी

नूरुल ने एक इंटरव्यू में स्कूल के दिनों को याद करते हुए बताया कि जिस स्कूल में पढ़ते थे, उसमें किसी प्रकार की सुविधा नहीं थी। स्कूल की हालत ऐसी थी कि बरसात के दिनों में छत से पानी टपका करता था और ऐसी ही स्थिति में वहाँ बैठकर वे पढ़ाई किया करते थे। परन्तु नूरुल ने यह भी कहा कि वे उस स्कूल के अध्यापकों को दिल से शुक्रिया अदा करना चाहते हैं जिन्होंने इतनी कठिन परिस्थितियों में भी उन्हें अच्छी तरह पढ़ाया और वहाँ उनका बेसिक काफ़ी मज़बूत हो गया। वे बताते हैं कि उन्होंने 5 वीं कक्षा में A, B, C D सीखी थी। इस वज़ह से कक्षा 12 तक उनकी अंग्रेज़ी बहुत वीक थी, फिर उन्होंने काफ़ी कोशिश की तथा अपनी इंग्लिश को सुधार लिया।

मलिन बस्ती के छोटे से घर में रहे और पढ़ाई के लिए बेचनी पड़ी गाँव की ज़मीन

नूरुल के पिताजी की बरेली में एक फोर्थ क्लास कर्मचारी के पद पर जॉब लगी थी, उस समय नूरुल दसवीं कक्षा पास कर चुके थे और 11वीं में दाखिला लेने वाले थे। उनके पिता जी की सैलरी बहुत कम थी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत खराब थी, इस वज़ह से उन्हें एक मलिन बस्ती में छोटा-सा घर किराए पर लेकर रहना पड़ा था। फिर वहीं एक पास के विद्यालय में नूरुल ने 11वीं कक्षा में दाखिला लिया और वहीं से 12वीं तक पढ़ाई पूरी की। इसके पश्चात उन्होंने अपने दोस्तों की तरह बीटेक के एंट्रेंस एग्जाम की कोचिंग करने का निश्चय किया, लेकिन कोचिंग के लिए उनके पास पैसे नहीं थे।

फिर नुरूल की पढ़ाई जारी रहे उसके लिए उनके पिता जी ने गाँव में पड़ी हुई अपनी ज़मीन बेची और बीटेक की कोचिंग में फीस भरकर नुरुल का एडमिशन कराया। फिर उन्होंने केवल 70 हज़ार रुपए में एक बहुत ही साधारण जगह पर एक रूम वाला मकान खरीदा, जिसमें बच्चे ठीक प्रकार से पढ़ाई कर सके तथा मकान का किराया भी ना देना पड़े।

बीटेक के बाद मिली जॉब

बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद नुरूल ने पहले एक कंपनी में जॉब करना शुरू कर दिया था, जिससे पारिवारिक ख़र्च में मदद हो सके तथा उनके छोटे भाइयों की पढ़ाई का ख़र्च निकल जाए। फिर यहाँ काम करते हुए ही नुरुल ने भाभा में भी इंटरव्यू दिया, जहाँ के डेढ़-दो लाख प्रतिभागियों में से सलेक्ट हुए कुल 200 प्रतिभागियों में उनका चयन हो गया। अब तो वे क्लास वन ऑफिसर बन गए थे और उनके परिवार सारी परेशानियाँ ख़त्म होने वाली थीं, अब भी उनके दिमाग़ से यूपीएससी परीक्षा देने का ख़्याल नहीं निकल रहा था क्योंकि वे अभावग्रस्त बच्चों की सहायता करना चाहते थे, ताकि ऐसे गरीब बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिल सके।

जॉब के साथ शुरू की UPSC की तैयारी, बने IPS

नौकरी के साथ ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) की तैयारी भी शुरू कर दी थी। पहले उन्होंने कोचिंग करने का सोचा लेकिन उसकी फीस बहुत ज़्यादा थी। फिर उन्होंने सेल्फ स्टडी करके ही परीक्षा पास करने का फ़ैसला लिया। इसी बीच ऐसा भी हुआ जब वे इंटरव्यू राउंड तक पहुँचे, लेकिन चयनित नहीं हो पाए।

सलेक्शन न होने पर लोगों ने उन्हें बहुत हतोत्साहित किया और तरह-तरह की बातें की, जैसे मुस्लिम हो इसलिए सलेक्शन नहीं हुआ और आगे भी नहीं होगा, उनकी इस तरह की बातों पर नुरुल ने ध्यान नहीं दिया क्योंकि पहले ही बार्क में भी उनकी जो अच्छी पोस्ट पर थी, तो वे मानते थे की यदि ऐसा होता तो उनका सलेक्शन वहाँ भी नहीं हो पाता। उन्होंने लोगों की बातों पर ध्यान ना देते हुए अपनी कोशिश जारी रखी। अंततः उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की और IPS ऑफिसर की पोस्ट पर तैनात हुए।

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