blank 7 9

एक ओर जहां बढ़ रहे कोरोना आपदा के बीच कोविड-19 संक्रमित अपने परिजनों से मुंह मोड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर तनावपूर्ण माहौल के बीच झारखंड के रांची में एक ऑटो ड्राइवर संकट में सहारा बनकर लोगों के सामने आए हैं। मेडिकल इमरजेंसी के हालात में जहां एंबुलेंस में भी कोरोना पीड़ित पेशेंट और उसके परिजनों को बैठने से मना किया जा रहा है तो दूसरी ओर ऐसे हालात का सामना कर रहे लोगों के लिए ऑटो ड्राइवर रवि आशा की एक किरण के रूप में आए है।

Also read: सोमवार को गिरा सोने का भाव, चांदी के कीमत भी नरम, जाने ताजा भाव

दरअसल संकट मोचक बने ऑटो चालक रवि अग्रवाल ऐसे लोगों को मुफ्त में सवारी की पेशकश कर रहे हैं, जिन्हें ऐसे समय में अस्पतालों में जाने की जरूरत है जब COVID-19 महामारी के कारण अधिकांश ऑटो चालक या अन्य गाड़ियों के ड्राइवर उन्हें अस्पतालों में ले जाने से मना कर रहे हैं।

Also read: बिहारवासियों को रेलवे का तोहफा, इस रुट पर दौड़ेंगी कई ट्रेन

एएनआई से बात करते हुए ऑटो चालक रवि अग्रवाल ने कहा कि वह 15 अप्रैल से सेवा चला रहे हैं। बताया कि एक दिन एक महिला जिन्हें राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) जाना था लेकिन कोई भी ऑटो चालक डर के मारे उन्हें वहां ले जाने के लिए तैयार नहीं था। हालांकि महिला रिम्स तक ले जाने वाले ऑटो ड्राइवर को मुहमांगा भाड़ा देने को तैयार थी। इसके बावजूद भी कोई वहां जाने को तैयार नहीं हुआ।

Also read: रांची में सस्ता हुआ सोना, जाने आपके शहर में क्या है कीमत

मैंने उन्हें रिम्स पहुंचाने की पेशकश की और उन्हें अपने ऑटो में बैठाकर रिम्स के ट्रामा सेंटर पहुंचा दिया। मुझे नहीं पता कि वह कोरोना पेशेंट थी या नहीं, लेकिन मैंने उसके द्वारा दिए गए पैसे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। जब मैं लौट रहा था तो मुझे एहसास हुआ कि उसके जैसे कई लोगों को कोरोना के डर से परिवहन सेवाओं से वंचित किया जा रहा है। इसके बाद से मैंने जरूरतमंदों को फ्री में अस्पताल पहुंचाने लगा।

Also read: सोने के भाव में आई कमी, चांदी के भाव बरकरार, जाने 24 कैरेट सोने का रेट

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.