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आज के समय में आए दिन देशभक्ति पर बहस छिड़ जाती है. सवाल ये है कि हम कैसे जान सकते हैं कि एक सच्चा भारतीय कौन होता है और देशभक्ति की परिभाषा क्या है? कहने को तो हम सब भारतीय हैं, लेकिन क्या हम सब अपने देश के प्रति अपने दायित्व को निभा पा रहे हैं. एक सच्चा भारतीय और देशभक्त वही है, जो अपने देश की बेहतरी के लिए सोचता है, जो देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों प्रेरित करता है.

यही युवा तो देश के बेहतर कल की नींव रखते हैं.एक सच्चा भारतीय होने के लिए आपको धन दौलत या शारीरिक बल की जरूरत नहीं होती, इसके लिए ज़रूरत है तो सिर्फ एक अच्छी सोच की. आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे लोगों के बारे में जिनसे हम सीख सकते हैं कि एक सच्चा भारतीय होना आखिर होता क्या है.

1. सोनू सूद

Sonu Sood / Instagram

खलनायक नहीं नायक है तू’ सोनू सूद के बारे में सोचते ही यही लाइन दिमाग में आती है. 21 सालों से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के बाद सोनू सूद को एक खतरनाक खलनायक के रूप में पहचान मिली लेकिन 2020 में आई कोरोना आपदा ने सिनेमाई पर्दे के इस खलनायक के अंदर छुपे सच्चे नायक को दुनिया के सामने ला खड़ा किया.

कोरोना काल में सोनू सूद ने तकरीबन 20000 अप्रवासी मजदूरों को उस समय सही सलामत अपने अपने घर पहुंचाया जब उनके लिए सभी रास्ते बंद हो चुके थे. हर ज़रूरतमंद की मदद करने को तैयार रहने वाले सोनू सूद ने युवा पीढ़ी को ये सिखाया कि सच्चा भारतीय होना क्या होता है.

2. जादाव पायेंग 

Jadav Payeng / CNN

गांव में आई भयानक बाढ़ के बाद एक 14-15 साल के लड़के ने देखा कि उस बाढ़ के प्रकोप से इंसान ही नहीं बल्कि जानवर भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. सैकड़ों सांप मरने के बाद बाहर रेत पर जमा हो गए थे, कई अन्य जानवर मारे गए, कई जानवरों का बसेरा छिन गया. इंसान सक्षम है, वो बर्बाद होने के बाद भी संभल सकता है, लेकिन जानवर क्या करेंगे? इसी सोच ने इस लड़के के जीवन की दिशा और दशा बदल दी.

3. मिताली राज 

Mithali Raj / ReutersMithali Raj /

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने क्रिकेट में एक ऊँचा मुकाम प्राप्त किया. उन्होंने अपनी उपलब्धियों से पूरी दुनिया में केवल अपना नाम ही रौशन नहीं किया बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा भी बनीं जो खेल के मैदान में कुछ करना तो चाहती थीं लेकिन इतना बड़ा कदम उठाने की हिम्मत नहीं कर पातीं. आज हमारे देश में क्रिकेट केवल पुरुषों का खेल नहीं रह गया बल्कि स्टेट लेवल से लेकर इंटरनेशनल लेवल तक महिलाएं भी इस खेल में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. इस सकारात्मक बदलाव में मिताली राज का बहुत बड़ा योगदान रहा है.

4. अंजली लामा 

Anjali Lama / Instagram

2016 में इंडियन फैशन इंडस्ट्री ने तब एक नया इतिहास रच दिया जब अंजली लामा नामक मॉडल ने लैक्मे फैशन वीक के रैंप पर वॉक किया. आप सोच रहे होंगे कि एक लड़की द्वारा रैंप पर वॉक करने में भला क्या नया है? नया ये था कि अंजली के इस रैंप वॉक के बाद वह देश की पहली ट्रांसजेंडर मॉडल बन गईं.

नेपाल के एक छोटे से गांव में जन्मी अंजली के लिए यहां तक पहुंचाना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने जो चाहा वो कर दिखाया. इसी के साथ उन सभी को हौसलों के पंख मिले जो अंजली की तरह हैं. भले ही अंजली नेपाल से संबंध रखती हों लेकिन उन्होंने हमारे देश की फैशन इंडस्ट्री के दरवाज़े यहां के ट्रांसजेंडर्स के लिए खोल दिए हैं.

5. शिरीष आप्टे  

Shirish Apte / TOI

बदलाव के लिए किसी को तो आगे आना ही होता है. आम लोग सोचते हैं कि किसी को आगे आना है हमें नहीं और जिनमें कुछ कर गुज़रने का जुनून होता है वे सोचते हैं कोई और क्यों हम क्यों नहीं ? शिरीष आप्टे उन्हीं गिने चुने जुनूनी लोगों में से हैं जो कुछ अच्छा करने के लिए किसी का इंतज़ार नहीं करते, बल्कि खुद आगे आ कर अच्छा करने की शुरुआत करते हैं.

6. डॉ सुहास विठठ्ल मपुस्कर 

Dr. Mapuskar / TOI

जब भी लोग भारत के गांवों की बात करते हैं तो उसके साथ वहां की गंदगी का ज़िक्र करना नहीं भूलते. गांवों की गंदगी पर हर कोई मज़ाक बनाता है लेकिन इसके समाधान के बारे में उस तरह से कोई नहीं सोचता जिस तरह से डॉ सुहास मपुस्कर ने सोचा और इस संबंध में प्रयास किए. डॉ मपुस्कर ने गाँव के लोगों को स्वच्छता के बारे में जागरुक किया तथा उन्हें इसके फ़ायदों के बारे में बताया.

7. इशिता मालवीय  

Ishita Malaviya / Grazia

एक खिलाड़ी जब किसी खेल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलता है तब वह पूरे देश का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है. ऐसे में अगर कोई महिला पूरे देश की तरफ से अकेली खेले तो ये देश के साथ साथ समूचे महिला वर्ग का सम्मान बढ़ाने वाली बात होगी. कुछ इसी तरह का सम्मान इशिता ने भी बढ़ाया है. इशिता देश की पहली महिला सर्फर हैं. पत्रिकारित में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपना सर्फिंग का सपना पूरा किया. इशिता अब सिर्फ खुद ही समुद्र की लहरों के साथ नहीं खेलतीं बल्कि वह औरों को भी सर्फिंग का हुनर सिखाती हैं.

8. बीना रॉय

Beena Rao / TOI

बदलाव की बातें तो हर कोई करता है लेकिन बदलाव के लिए आगे कोई नहीं आना चाहता. हां लेकिन अगर हम बीना रॉय की बात कर रहे हों तब हम गलत साबित हो सकते हैं क्योंकि बीना ने जो कहा उसे कर के दिखाया. बीना रॉय मुंबई की झोंपड़पट्टियों में रहने वाले गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए जानी जाती हैं. बीना अपने 40 वॉलेंटियर्स के साथ 5000 से ज़्यादा बच्चों को शिक्षा दे रही हैं.

9. ज्योत्सना सिटलिंग 

Jyotsna Sitling / TOIJyotsna Sitling /

हम मैदानों में रहने वाले लोगों को पहाड़ों से बहुत स्नेह होता है, लेकिन यह स्नेह केवल वहां जा कर घूमने तक ही है. हम इन पहाड़ों पर सैर सपाटे के लिए जाते हैं, क्योंकि यहां की खूबसूरती हमें पसंद आती है. लेकिन हम इनकी खूबसूरती को जाने अनजाने  बर्बाद कर आते हैं. हमें शुक्रिया कहना चाहिए ज्योत्सना जैसे पर्यावरण प्रेमियों का, जो हमारी फैलाई गंदगी को साफ करते हैं और पहाड़ों की खूबसूरत बनाए रखते हैं. 

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.