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यूपी में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते प्रत्याशियों से उम्मीद की जा रही है कि वो प्रचार में सावधानी बरतेंगे. मगर, राज्य के अलग-अलग इलाकों से आने वाली कुछ तस्वीरें सिर झुकाने वाली हैं. मतदाताओं को आकर्षित करने के चक्कर में उम्मीदवार न सिर्फ़ कोविड नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, बल्कि अपने प्रचार के तरीकों से इंसानियत को भी कटघरे में खड़ा करने रहे हैं ।

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रायबरेली और बलिया जिले में तो सारी हदें ही पार दी गई. यहां कुछ उम्मीदवारों ने अपने चुनाव प्रचार के लिए आवारा कुत्तों का इस्तेमाल किया. कुछ उम्मीदवारों ने कुत्तों पर अपने पोस्टर और पर्चे चिपका दिए और उन्हें इधर-उधर घूमने दिया. तर्क दिया जा रहा कि यह एक उत्तम विचार है और मतदाता इस तरह के नवाचारों के प्रति आकर्षित होते हैं. आचार संहिता में भी ऐसा कोई नियम नहीं है, जो प्रचार के दौरान कुत्तों का उपयोग करने से रोकता है ।

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कुत्तों के शरीर पर वोट की अपील करने वाले ये पोस्टर अब चर्चा में हैं. कुछ पशु-प्रेमियों ने इस पर आपत्ति जताते हुए अमानवीय बताया. न्यूज एंजेसी आईएएनएस से बात करते हुए एनिमल एक्टिविस्ट रीना मिश्रा ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि चुनाव प्रचार के लिए अगर किसी इंसान के चेहरे पर ऐसे पोस्टर चिपकाए जाएं तो उसे कैसा महसूस होगा? कुत्ते कुछ नहीं कर सकते. इसका मतलब यह नहीं कि उसके साथ ऐसे व्यवहार की आजादी है ।

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