भारतीय इतिहास के पन्ने पलटकर देखेंगे तो आपको उसमें कई सारी प्रेम कहानियां दर्ज मिलेगी. फिर चाहे वह पृथ्वीराज-संयोगिता की कहानी हो, बाजीराव-मस्तानी की कहानी हो, या फिर सलीम-अनारकली की कहानी. इस सूची में फ़िरोज शाह तुगलक और गुजरी का नाम भी दर्ज है

इनकी कहानी का कनेक्शन हिसार ज़िले के ‘गुजरी महल’ से जुड़ा हुआ है. कहते हैं कि सन 1354 में फ़िरोज शाह तुगलक ने इस ज़िले को ‘गुजरी’ नामक एक दूध बेचने वाली के लिए बनवाया था. दरअसल, वह पहली नज़र में ही अपना दिल गुजरी को दे बैठा था

कब और कैसे फ़िरोज़ को गुजरी से प्यार हुआ? 

फ़िरोज़ ने गुजरी से वादा किया था कि राजा बनने के बाद वह उनके लिए महल बनाकर देगे. साथ ही उनके ज़िले में सारी सुविधाओं का इंतज़ाम करेंगे

आइए जानते हैं कब और कैसे फ़िरोज़ को गुजरी से प्यार हुआ और उसने किस वादे के चलते गुज़री महल को बनवा के दिया

बात उस ज़माने की है, जब दिल्ली के तख़्त पर मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1325-51) काबिज था. उसके उत्तराधिकारी के रूप में फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ख़ुद को तैयार कर रहा था

शिकार करना उसका पसंदीदा शौक था. एक दिन वह हिसार के घने जंगलों में अपने शिकार का इंतज़ार कर रहा था. तभी उसकी नज़र एक चेहरे पर जा रुकी

पहली नज़र में ही फ़िरोज़ अपना दिल दे बैठा था  

यह चेहरा गुज्जर जाति की एक युवती का था, जोकि जंगल में मौजूद कुछ लोगों को दूध बेच रही थी. फ़िरोज़ काफ़ी देर तक टकटकी लगाकर उसे देखता रहा

वो उसकी सुंदरता पर मोहित हो चुका था. कहते हैं इस पहली नज़र में ही फ़िरोज़ गुजरी को अपना दिल दे बैठा था

 …और  इस तरह शुरू हुई गुजरी-फ़िरोज़ की प्रेम कहानी  

उन्हें पता चला कि जंगल में कुछ गुज्जर जाति के लोग रहते थे, जो मुख्यत: गाय-भैस पालने का काम करते थे. गुजरी इसी जाति की एक लड़की थी, जो दूध बेचने का काम करती थी. इसके बाद तो जैसे फ़िरोज़ के लिए हिसार का जंगल दूसरा घर हो गया 

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