बिहार के नालंदा जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसके बारे में जानकार आप हैरान रह जायेंगे. सजा सुनाना किसी अपराध के लिए अंतिम निर्णय नहीं है, ये बात आपने जरूर सुनी होगी
लेकिन इस बात को जज मानवेंद्र मिश्रा ने सार्थक साबित कर दिया है. उन्होंने एक टैलेंटेड आरोपी को इसलिए रिहाई दे दी क्योंकि बिहार पुलिस में उसका सेलेक्शन हो गया है
गुरूवार को जज मानवेंद्र मिश्रा ने मारपीट से जुड़े मामले में आरोपित किशोर की महज 13 दिन में सुनवाई पूरी कर रिहाई दे दी. आरोपित युवक को केंद्रीय चयन परिषद सिपाही के पद पर चयन कर लिया गया है
उसकी मेधा को देखते हुए कोर्ट ने न सिर्फ मुकदमे से रिहाई दी, बल्कि एसपी को निर्देश दिया कि नाबालिग के दौरान किए अपराध का जिक्र उसके चरित्र प्रमाण पत्र में नहीं किया जाए
बताया जा रहा है कि नालंदा जिले के अस्थावां थाना क्षेत्र से जुड़े एक मारपीट के मामले में किशोर द्वारा कोर्ट में अपने मेधा के संबंध में सिपाही पद पर चयन होने का प्रमाण पत्र दिया
उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि मेरे मामले को निष्पादित कर दिया जाए. ताकि, भविष्य में मेरी नौकरी पर किसी प्रकार का असर ना आए
कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बच्चे के भविष्य को देखते हुए इस मामले से आरोपित को बरी कर दिया. इसके पूर्व भी जज मानवेंद्र मिश्रा कई ऐतिहासिक फैसला सुना कर सुर्खियों में रहें हैं