देश के दो बड़े हिंदीभाषी राज्य बिहार और यूपी में बीते दिनों यहां के अमानवीयता और प्रशासन के लापरवाही की झकझोर देने वाली दो बड़ी तस्वीरें सामने आई है।
एक बिहार के कटिहार जिले की तस्वीर है जहां एक बेटे के शव को लेकर थाना जाते लाचार पिता की तस्वीर है तो दूसरी ओर यूपी के प्रयागराज की तस्वीर सामने आती है जहां निजी अस्पताल में इलाज के रुपये जमा नहीं करने पर बच्चे के ऑपरेशन के दौरान चीरे हुए पेट पर टांका लगाए बिना ही उसे घर भेज दिया गया। जहां बाद में बच्चे की मौत हो गई।
हालांकि यूपी मामले में घटना की मीडिया में सुर्खियां बनने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मामले का संज्ञान लिया और प्रयागराज के जिला अधिकारी को मामले में केस दर्ज कर जांच कराए जाने का निर्देश दिया है।
बिहार के कटिहार जिले में बीते कुछ दिनों से लापता 13 साल के बच्चे का शव बरामद हुआ तो पुलिस ने पोस्टमार्टम कराना भी जरूरी नहीं समझा और शव को मौके पर ही छोड़कर रवाना हो गए। पुलिस ने जब अपने हाल पर छोड़ दिया तो मृतक के पिता शव को बोरे में भरकर पैदल ही निकल पड़े और थाने पहुंचे।
दरअसल बीते 26 फरवरी को भागलपुर जिले के गोपालपुर थानाक्षेत्र करारी तीनटंगा के रहने वाले 13 वर्षीय हरिओम कुमार नाव से गिरकर गंगा में डूबने से लापता हो गया था।
काफी खोजबीन करने के बाद भी शव बरामद नहीं होने पर हरिओम के पिता लेरू यादव ने घटना के संदर्भ में गोपालपुर थाना में सूचना भी दी थी।
इसके कुछ दिनों बाद कुर्सेला थाना क्षेत्र के खेरिया घाट पर एक किशोर का शव बरामद हुआ। खेरिया में दूरदराज के सगे संबंधियों ने शव देखकर इसकी सूचना हरिओम को दी।
पिता कुछ ग्रामीणों के साथ गोपालपुर थाने को सूचना देते हुए कुर्सेला के खेरिया घाट पहुंचे और शव की शिनाख्त की।
लगातार छह दिनों तक पानी में रहने के कारण शव की स्थिति फूल कर पूरी तरह से कंकालनुमा हो गई थी। घटनास्थल पर कुर्सेला तथा गोपालपुर पुलिस पहुंची, परंतु अमानवीय व्यवहार करते हुए दोनों थाना की पुलिस बिना शव को अपने कब्जे में लिए वहां से निकल पड़ी।
पुलिस ने पोस्टमार्टम कराना भी जरूरी नहीं समझा। एक तो बेटा खोने का गम और ऊपर से पुलिस के इस व्यवहार से आहत पिता ने करुण क्रंदन करते हुए किसी तरह से शव को एक बोरे में भरकर लगभग तीन किलो मीटर पैदल चले और कुर्सेला थाना पहुंचे।
यहां से उन्होंने गाड़ी की और पोस्टमार्टम के लिए शव को गोपालपुर थाना लेकर गए। इस पूरे प्रकरण पर अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते रहे और किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की।