ट्रेन में लावारिस मिले 1.40 करोड़ रुपए वापस हासिल करने को परदे के पीछे से खेल खेला जा रहा है। 16 फरवरी की रात मिले लावारिस बैग पर पहला क्लेम एक कंपनी ने 28 फरवरी को पेश किया।
उसका प्रतिनिधि जीआरपी तक पहुंचा। वहां से आयकर विभाग को सूचना दी गई। रकम विभाग सील कर चुका है, लिहाजा बिना पूरी प्रक्रिया के रकम रिलीज करने से इनकार कर दिया गया।
फिलहाल यह रुपयों भरा बैग आयकर विभाग की कस्टडी में है। इस पर दावा करने वाले व्यक्ति या कंपनी को पूरा लेखा-जोखा देना होगा।
सूत्रों का कहना है कि कोई भी इतनी बड़ी रकम को 12-15 दिन तक लावारिस क्यों छोड़ेगा? जाहिर है कि यह रकम या तो किसी अपराध से संबंधित है या फिर यह भ्रष्टाचार की कमाई है।
जिसे वापस हासिल करने के लिए रसूखदार मालिक कोई फर्जी मालिक तैयार कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक रकम पर दावे की सूचना खुद आयकर विभाग को देने वाली जीआरपी किसी दावेदार के पहुंचने तक से इनकार कर रही है।
उधर आयकर सूत्र साफ बता रहे हैं कि एक कंपनी द्वारा रकम पर दावे की सूचना जीआरपी से मिली थी।
यही नहीं, जीआरपी अब तक बैग को ट्रेन में रखने वाले का सीसीटीवी फुटेज तक लेने नहीं गई है।
माना जा रहा है कि इस बड़ी रकम का मालिक बेहद ताकतवर है और परदे के पीछे से उसने रकम हासिल करने की ताबड़तोड़ कोशिश शुरू कर दी है।
यह है मामला
16 फरवरी की रात 2 बजे कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस की पैंट्री कार में रेलवे कर्मियों को एक 1.40 करोड़ रुपए से भरा बैग मिला था।
जिसे रेलवे के इंटरकाम पर कॉल करके कानपुर में उतारकर भेजे गए व्यक्ति को देने को कहा गया था। बाद में रकम जीआरपी को सौंप दी गई।
सूत्रों का दावा है कि 28 फरवरी को पहली बार जीआरपी में कंपनी ने दावा किया कि लालबैग में मिले 1.40 करोड़ रुपए उसके हैं।
ये रकम कैशबुक में दर्ज है और सुरक्षा के साथ इसे भेजा जा रहा था। लेकिन रकम को लेकर कागजात कंपनी की ओर से जमा नहीं दिए गए।
सूत्रों के मुताबिक कंपनी के प्रतिनिधि ने यह दावा मौखिक रूप से जीआरपी में किया। उधर, जीआरपी इंस्पेक्टर ने कहा कि उनके पास किसी कंपनी का प्रतिनिधि नहीं आया।
आयकर विभाग ने एक मार्च को रकम राजकोषीय खाते में जमा करा दिए। इस संबंध में आयकर विभाग जीआरपी से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।
आयकर विभाग जीआरपी से जांच रिपोर्ट मांगेगा। रेलवे के अधिकारियों से भी जानकारी ली जाएगी।