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संघर्ष में आदमी अकेला होता है, परन्तु सफलता के बाद दुनिया साथ होती है. कुछ नहीं मिलता है, दुनिया में मेहनत के बगैर, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. ऐसे ही महाराष्ट्र का एक जिला है. इस जिले का नाम नांदेड है. यहां के छोटे से गांव में रहने वाली वसीमा शेख ने अपने मेहनत से महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास कर कलेक्टर बन गई.

वसीमा शेख का जन्म महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके घर की जिम्मेदारी मां और भाइयों के कंधे पर था. गरीबी इतनी थी की आईएएस वसीमा शेख की मां गांव गांव जाकर चूरी बेचती थी. उनके बड़ा भाई पुणे में ऑटो रिक्शा चलाते थे .

और वसीमा शेख उनके छोटे भाई छोटा-मोटा काम कर घर को चलाते थे. वसीमा का शुरुआत की पढ़ाई गांव से हुई थी. 12वीं के बाद उन्होंने महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी से B.A में एडमिशन लिया और उसके साथ साथ प्राइमरी टीचर के लिए एक डिप्लोमा वीपी एड किया. 2016 में उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. वसीमा के भाई उनको अच्छी पढ़ाई के लिए वसीमा को पुणे लेकर चले गए. वसीमा पुणे में बिना कोचिंग के 12-15 घंटा पढ़ाई की.

आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई. वसीमा शेख ने 2018 में MPSC का एग्जाम दिया था, और सेल्स टैक्स इंस्पेक्टर के पद के लिए चुनी गई. बाद में वह महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन में टॉप लिस्ट में तीन नंबर पर आई.