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सफलता के पीछे बहुत सारे और असफलताओं का भी हाथ होता है. आजकल के छात्र एक बार असफल हो जाने के बाद कोशिश करना बंद कर देते है. लेकिन कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है. इसी का उदाहरण बनकर त्रिशनित अरोड़ा ने पेश किया है. त्रिशनित अरोड़ा साइबर सिक्योरिटी कंपनी ‘टैक सिक्योरिटी’ के सीईओ है. उन्होंने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है.

त्रिशनित अरोड़ा का जन्म लुधियाना के मध्य परिवार में हुआ था. त्रिशनित अरोड़ा को बचपन से ही पढ़ाई में बिलकुल मन नहीं लगता था. लेकिन वह कंप्यूटर के पीछे दीवाने थे . वह आठवीं तक की परीक्षा पास नहीं कर सके. माता-पिता उसे खूब कोशिश की पर वह नहीं माने और पढ़ाई छोड़ दी. 12वीं तक की correspondence से पढ़ाई की. 19 साल की उम्र में उन्हें अपने कामों के लिए 60 हजार रुपये का चेक मिला. उसके बाद एथिकल हैकिंग के क्षेत्र में काम किया और हैकर बन गया.

हैकिंग पर त्रिशनीत ने दो किताब लिखी है. पहली किताब का नाम है ‘हैकिंग टॉक विद त्रिशनित अरोड़ा’ और दूसरी किताब का नाम है “द हैकिग एरा”. त्रिशनित ने मात्र 23 साल के उम्र में यह मुकाम हासिल कर लिया है. त्रिशनित ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है की नॉलेज पाने के लिए डिग्री की जरुरत नहीं होती है. कड़ी मेहनत कर की इंसान कोई भी ज्ञान हासिल कर सकता है.