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महिलाओं की बात कहे तो पहले के जमाने में लोग महिलाओं को घर से बाहर नहीं जाने देते थे. लेकिन अब महिलाओं ने हर चीज में अपनी अलग पहचान हासिल करती जा रही है. अब ऐसा कोई सेक्टर नहीं बचा जिसमें महिलाऐ ना हो. अब भारत सहित दुनिया की सभी महिला जागरूक हो गई है. इसी का उदाहरण सलमा बेग है.

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सलमा बेग लखनऊ मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर मल्हौर रेलवे क्रॉसिंग पर गेटवुमन कि नौकरी पिछले 10 वर्षों से करती आ रही है. 2013 में मात्र 19 वर्ष की उम्र में सलमा बेग देश की पहली महिला गेटवुमन बनी थी. सलमा के पिता भी रेलवे में गेटमैन की नौकरी करते थे. सलमा के पिता को कान में बीमारी के कारण अच्छी तरह से सुनाई नहीं देता था. जिसके कारण उनको नौकरी छोड़नी पड़ी. दुर्भाग्य ऐसा था की, सलमा की मां को भी लकवा मार गया था. जिसके कारण उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी.

सलमा बेग के पिता को नौकरी छोड़ने के बाद घर की स्थिति पूरी तरह से खराब हो गई थी. जिसके बाद सलमा ने गेटवुमन बनने की ठान ली. जिसके बाद रिश्तेदार और रिश्तेदार पड़ोसियों ने ताने मारने लगे. लेकिन सलमा बेग ने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया, और नौकरी करने लगे सलमा को नौकरी के कारण 2 साल बाद शादी हुई, सलमा के पति भी नहीं चाहते थे कि ये गेटवूमन नौकरी करें, लेकिन सलमा ने कहा कि वह नौकरी नहीं छोड़ेगी, तब उसका पति भी समझ गया.

इस तरह से सलमा बेग ने भारत की सबसे पहली रेलवे क्रासिंग गेट के गेटवीमेन बनने का गौरव प्राप्त किया. इससे हमें ये सीख मिलती है की हमें मुसीबत में कभी घबराना नहीं चाहिए . कड़ी मेहनत करनी चाहिए और सफलता प्राप्त करना चाहिए.