नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। आज देश की जिस डनलप फैक्ट्री मैदान की देशभर में चर्चा हो रही है,
उसकी नींव लगभग 85 साल पहले बंगाल में रखी गई थी। यह देश की पहली टायर फैक्टरी थी। यहां साइकिल से लेकर हवाई जहाज तक के 300 तरह के टायर बनाए जाते थे।
कोलकाता से लगभग 75 किमी दूर फैक्टरी के मुख्य द्वार पर लिखा है लीडर इज बैक। यह जुमला पवन कुमार रुइया ने लिखवाया था
जब उन्होंने वर्ष 2005 में फैक्टरी मनु छाबड़िया से खरीदी थी। मगर इसी मैदान से जब बंगाल का भविष्य तय करने वाली चुनावी सभाएं हो रही हैं
तो मुख्य द्वार पर लिखे एक जुमले के अलग-अलग मायने लगाए जा रहे हैं।
फैक्टरी की इमारत बताती है कि मशीनों की आवाज से आबाद रहने वाली इस फैक्टरी का वैभवशाली इतिहास रहा होगा। तभी तो वर्ष 1980 के दौर में जब विश्व बाजार में बदलाव हो रहा था,
उस वक्त भी कंपनी ने ठसक के साथ विज्ञापन दिया था कि डनलप इज डनलप। किसी ने नहीं सोचा था दशकों तक यूरोप, अमेरिका के साथ भारतीय बाजार पर कब्जा रखने वाली यह कंपनी खामोश हो जाएगी।
वर्ष 2001 में बंद हुआ कारखाना: वर्ष 2001 से बंद कारखाने को वर्ष 2016 में ममता सरकार ने चलाने का प्रयास किया लेकिन विफल रहे।
मोदी की जनसभा फिर से खुलने की उम्मीद जगी: राज्य ब्यूरो, कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा के बाद मजदूरों में डनलप के वर्षो से बंद पड़े कारखाने के फिर से खुलने की उम्मीद जगी है।
श्रमिक अर्जुन पासवान ने कहा-जब से डनलप कारखाना बंद हुआ है, हमारी हालत बदहाल है।
प्रधानमंत्री ने डनलप की मिट्टी पर आकर जनसभा को संबोधित किया है। मुङो भरोसा है कि वे डनलप कारखाने को फिर से चालू करने के बारे में जरूर सोचेंगे।