सहारा इंडिया के नीतियों से पूरा देश परेशान हो चूका है. आखिर सवाल पैसों का है. आज के टाइम में पैसा है तो सब कुछ है. अगर आपके पास पैसे नहीं तो आपकी कोई अहमियत नहीं है. यही सच्चाई है. इसीलिए आज से करीब 30 साल पहले लोगो ने अपने पैसे को बढ़ाने के लिए सहारा इंडिया जैसी कंपनियों में इन्वेस्ट किया था. ताकि उनके पैसे समय के साथ बढे. परन्तु जब पैसे लौटने की बारी आई तो सहारा समूह अपने बात से मुकर गया. लोगो के बैचैनी को देखते हुए अब ये मामला कोर्ट में चल रहा है.

अभी कुछ दिन पहले ही सहारा इंडिया ने एक विज्ञापन के जरिये दावा किया था की सहारा ने कुछ पैसे सेबी को दे दिए है. सेबी लोगो के पैसे लौटाने का काम कर रही है. सेबी का कहना है की अभी तक केवल 81.70 करोड़ रुपए के लिए लगभग 53,642 पासबुक से जुड़े कुल 19,644 आवेदन पत्र प्राप्त हो सके हैं| यही आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. कोर्ट लगातार इस मामले की सुनवाई करती रहती है.

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कुछ महीने पहले सहारा इंडिया ने पटना कोर्ट में निवेशकों के पैसे लौटने के मामले में अपने तरफ से जबाब दाखिल किया था. सहारा इंडिया की ओर से बयान आया की करीब पिछले 9 वर्षों में में सेबी ने सहारा ग्रुप ऑफ कंपनीज के निवेशकों को महज 128 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है। जबकि उसके पास 24000 करोड़ की रकम व्यर्थ पड़ी हुई है।

सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय ने सहारा कंपनी को आसमान की बुलंदी तक लेकर गए और फिर वहां से निचे गिरने के लिए छोड़ दिया. सहारा ग्रुप में सुब्रत रॉय ने बहुत सारी कंपनी खोली जैसे – इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में दो कंपनी है सहारा नेक्स्ट और सहारा ई-सवाल, मैन्युफैक्चरिंग में अररिया जूट प्रोजेक्ट, चीनी मिल, विद्युत उत्पादन, फाइनेंस में सहारा हाउसिंग फिना कारपोरेशन और सहारा परा बैंकिंग इत्यादि.