बिहार में मुंग की खेती कर लाखों रूपये कमा रहे है बिहार के किसान, इस जिला में हो रही बेहतर उपज

बिहार में मुंग की खेती काफी देखने को मिलती है | और इससे किसान को और फसलों के मुकाबले में आमदनी भी अच्छी मात्रा में हो जाती है | क्यूंकि मुंग एक ऐसा फसल है जो कि और फसलों के मुकाबले में बहुत कम समय में तैयार हो जाती है | इसमें लोगों को समय भी कम लगता है | अगर हम पुरे बिहार की बात करें तो पुरे बिहार में सबसे अधिक दलहन पौधे की खेती बिहार के रोहतास जिले में की जाती है |

मुंग की खेती करने से होती है किसान को लाखो का फायदा :

यहाँ के किसान से दूर-दूर के व्यापारी आते है और अच्छे-अच्छे कीमत देकर फसल खरीदकर ले जाते है | आपको बता दे कि कोलकत्ता, हजारीबाग,धनबाद समेत कई अन्य शहरों में बेचने के लिए यहां के किसानों से खरीद कर ले जाते है.मूंग की खेती खरीफ सीजन में किसानों को मालामाल कर सकती है. जून-जुलाई का महीना मूंग की रोपाई के लिए आदर्श माना जाता है. सितंबर-अक्टूबर तक फसल की कटाई का भी समय हो जाता है | अच्छे बीजों को बोकर किसान लाखों रूपये कमाते है |

दलहन फसल उपजाने से बढती है मिट्टी की उर्वरक शक्ति :

साइंस का मानना है कि आप साल में कम से कम एक बार जरूर दलहन पौधे की खेती करें इससे आपके खेतों की उर्वरक शक्ति बढती है | और इससे उपज अच्छी होती है | दुसरे फसल को भी उपजाने में ये मदद करती है | वहीँ अगर मुंग के भाव की बात करें तो वर्तमान में 7000 रुपए क्विंटल मूंग की बिक्री हो रही है.इसमें 24-26 % प्रोटीन, 55-60 % कार्बोहाइड्रेट और फैट यानी वसा 1.3 प्रतिशत होता है. मूंग की फसल से मिट्टी की उर्वराशक्ति भी बढ़ती है.तुअर या अरहर की दो कतारों के बीच मूंग की दो कतारों की बुआई की जा सकती है |