आज हम एक ऐसी परिश्रमी महिला की कहानी बता रहे हैं, जिनके पास कोई बड़ी डिग्री नहीं लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से जीवन में बहुत सफलता हासिल की।
हम बात कर रहे हैं लखनऊ की रहने वाली बिटाना देवी की, जिन्होंने अपनी कामयाबी से ना सिर्फ़ ने महिलाओं के लिए भी एक मिसाल क़ायम की है बल्कि राष्ट्रपति से पुरस्कृत होकर सभी को गौरवान्वित किया है। चलिए जानते हैं उनकी मोटिवेशनल सक्सेस स्टोरी…
बिटाना का कहना है कि “मेरा जन्म रायबरेली के पास सेहगो गाँव में हुआ।
मेरे पिताजी राम नारायण एक कृषक थे। जो अब नहीं रहे। खेती बाड़ी से ही परिवार का ख़र्चा चलता था।
मेरे दो भाई और एक बहन है। जिनमें मैं सबसे छोटी हूँ। हमारे गाँव में लड़कियों का घर से बाहर जाकर पढ़ना खराब मानते हैं।
मेरे परिवार वाले भी पुराने विचारों के ही थे। उन्होंने मेरे भाइयों को तो पढ़ाया, पर मुझे पढ़ाने में उनकी दिलचस्पी नहीं थी,
फिर जैसे तैसे मैं पांचवी कक्षा तक पढ़ी। मुझे आगे भी पढ़ना था, पर मेरे माँ पिताजी इसके लिए तैयार नहीं थे और मेरी पढ़ाई छूट गई।
फिर जब मैं जब 15 वर्ष की थी, तो मेरी शादी लखनऊ के निगोहा के रहने वाले हरिनाम से की गई।”
बिटाना कहती हैं कि “मेरे पास इस समय कुल 35 गाय और भैंसे है। मैं सलाना 56 हज़ार लीटर के करीब दूध बेच लेती हूँ।
दूध और खाद से हर साल 15 से 20 लाख रूपये तक कमाई हो जाती है। निगोहा, मोहनलालगंज, से लेकर लखनऊ के आस-पास के बहुत से गांवों और दुकानों में मेरे डेयरी फ़ार्म से हर रोज़ लगभग 5 हज़ार लीटर दूध सप्लाई होता है।
वे आगे बताती हैं कि अब हमारा लक्ष्य 100 गाय और भैंसें खरीदने का है। मुझे बहुत बार अपने काम के सिलसिले में शहर भी जाना पड़ता है। लेकिन मैं बिल्कुल भी नहीं घबराती हूँ।”