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देश के हर घर में सरसों का तेल उपयोग होता होगा. खास बात यह है की आम लोगों को सरसों के तेल क महगाई से राहत मिली है. तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और इन बढ़ते दामों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। बता दे की अगर आप सरसों का तेल खरीदने की सोच रहे हैं तो आपके लिए ये काम की खबर है।

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आपको बता दे की विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों कीमतों में तेजी के बावजूद इंडोनेशिया द्वारा निर्यात खोलने के कारण देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहनों की कीमतों में गिरावट का रुख देखने को मिला। सोयाबीन के डीऑयल्ड केक (डीओसी) की मांग बढ़ने से सोयाबीन तिलहन के भाव में सुधार आया, जबकि गिरावट के आम रुख के अनुरूप सोयाबीन तेलों की कीमतें गिरावट दर्शाती बंद हुईं.

पामोलीन तेलों के दाम में लगभग 100 डॉलर की कमी : जानकारों की माने तो इंडोनेशिया द्वारा निर्यात खोले जाने के बाद विदेशों में सूरजमुखी को छोड़कर सोयाबीन, पामोलीन तेलों के दाम में लगभग 100 डॉलर की कमी हुई है. ऊंचे दाम पर देश में आयात घटा है और स्थानीय मांग की पूर्ति देशी तेल (सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला और सरसों) से की जा रही है. इसमें सबसे अधिक दबाव सरसों पर है जो आयातित तेलों से कहीं सस्ता बैठता है. आयातित तेलों की मांग भी नहीं के बराबर है जिससे पिछले साल के मुकाबले इस बार अप्रैल में आयात लगभग 13 प्रतिशत घटा है.

सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतों में 40-40 रुपये की कमी : खास बात यह है की पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 100 रुपये टूटकर 7,515-7,565 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों दादरी तेल 250 रुपये टूटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,050 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ. वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 40-40 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 2,365-2,445 रुपये और 2,405-2,515 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं.

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