AddText 02 18 11.02.25

पिछले कुछ वर्षों में हम लोगों ने चेचक, पोलियो और स्पेनिश फ्लू जैसी कई महामारियों को देखा है और प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यूनिटी सिस्टम द्वारा इन बीमारियों से ख़ुद को बचाने के लिए उपाय भी किए. कोरोना वायरस नया वायरस है

जिसने लोगों के मन में कई सवाल खड़े किए. इससे लड़ने के लिए इम्यूनिटी का मज़बूत होना बेहद ज़रूरी माना गया


इम्यूनिटी सिस्टम कोशिकाओं और प्रोटीन का एक जटिल नेटवर्क है, जो शरीर को संक्रमण से बचाता है. रही बात शिशु की, तो वे विभिन्न बीमारियों और संक्रमणों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं

इसलिए पैरेंट्स के लिए यह समझना ज़रूरी है कि कैसे शिशु को मां से इम्यूनिटी ट्रांसफर होती है. साथ ही इसके प्रारंभिक चरणों के दौरान शिशु की इम्यूनिटी को बढ़ाने का महत्व क्या है. इस विषय पर एड्रोइट बायोमेट्रिक लिमिटेड के डॉ. अनीश देसाई और डॉ. सुनैना आनंद ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं


एंटीबॉडी, जो रक्षा कोशिकाएं होती हैं, गर्भावस्था के दौरान नाल के माध्यम से मां से शिशु में पारित हो जाती हैं. इससे शिशु को जन्म के शुरुआती दिनों में कुछ सुरक्षा मिलती है. शिशु को मिले एंटीबॉडी का प्रकार और मात्रा मां की इम्यूनिटी के अपने स्तर पर निर्भर है

जन्म के बाद, एंटीबॉडी मां के दूध के माध्यम से शिशु को मिलता है. हालांकि, शिशु की इम्यूनिटी सिस्टम अभी भी विकसित हो रही है, इसलिए उसे अपेक्षित आधार की आवश्यकता होती है.

अक्सर मांओं का यह सवाल रहता है कि वे अपने शिशु की इम्यूनिटी को कैसे बढ़ाएं? ऐसे में माता-पिता के लिए यह बहुत ज़रूरी हो जाता है कि वे अपने शिशु की इम्यूनिटी प्रणाली की निरंतर जांच करते रहें ताकि वे स्वस्थ रहें.

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.