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अभी अप्रैल का महीना चल रहा है. अभी हल्का ही गर्मी पर रही है. लेकिन कुछ दिनों के बाद बहुत ही तेज गर्मियों का मौसम आने वाला है। इस हाल में अगर आप भी गर्मी से बचने की तैयारी कर रहे हैं, तो आप इस एसी के बारे में सोच सकते हैं। इसमें बिलकुल भी एक पैसा नही लगता है. वही इस तपतपाती गर्मी से निजात की डिमांड को पूरा करेगा. प्रकृति प्रेमी लोग मिट्टी के एसी को घरों में लगाकर ठंडक लेने के साथ ही पर्यावरण को सुरक्षित भी रखेंगे।

आपको बता दे की मिट्टी, कुदरती ठंडाई का स्त्रोत है। यही कारण है कि मिट्टी का घर बिना पंखा, कूलर और एसी के भी ठंडा रहता है। इसी तकनीक को मिट्टी के एसी में भी अपनाई गई है। बताया जा रहा है की मिट्टी के एसी की “टेराकोटा कूलर” नाम दिया गया है जिसे बनाने में टेराकोटा मिट्टी (Terracotta Mud) का इस्तेमाल किया गया है। यह एसी देखने में मधुमक्खी के छत्ते की तरह लगता है इसलिए इसे बीहाइव एसी भी कहा जाता है।

खबरों की माने तो दिल्ली (Delhi) के आर्किटेक्ट मोनीष सिरिपुरापू (Architect Monish Siripurapu) वर्षों से मिट्टी पर काम करते आ रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2015 में पहली बार मिट्टी के एसी (Mitti Ka AC) का निर्माण किया। मिट्टी के एसी बनाने का ख्याल उनके मन में उस वक्त आया जब वे दिल्ली के एक फैक्ट्री में गए जहां भारी गर्मी में भी मजदूर काम कर रहे थे। उस फैक्ट्री का वातावरण इतना अधिक गर्म था कि मनीष और उनके साथी उस गर्मी को 10 मिनट भी सहन नहीं कर सकें। मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए उन्होंने टेराकोटा ऐसी पर काम करना शुरू किया।

कैसे काम करता है यह एसी (Mud AC)? खास बात यह है की मोनीष सिरिपुरापू (Architect Monish Siripurapu) की टीम ने इसके बारें में सोचा कि जब मिट्टी पानी को ठंडा कर सकती है तो हवा को क्यों नहीं? इसी आधार पर उनकी टीम मिट्टी के एसी बनाने के काम पर आगे बढ़ी और उन्हें सफलता हाथ लगी। बताया जा रहा है की इसमें सबसे पहले टेराकोटा ट्यूब अर्थात मिट्टी की पाइप पर पानी डाला जाता है। आप चाहें तो मोटर से भी पानी डालने की व्यवस्था कर सकते हैं। यह पानी ट्यूब के नीचे बने बड़े से टैंक में स्टोर होता है और वही पानी फिर ट्यूब पर डाला जाता है।

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