हमारे देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के वैल्यूएशन में उम्मीद से ज्यादा वक्त लगने से इसका इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) चालू वित्त वर्ष 2021-22 में आने की संभावना कम ही दिख रही है. बताया जा रहा है की इसकी वजह एलआईसी की शेयर बाजार में लिस्टिंग से जुड़ी औपचारिकताओं के पूरा होने में लगातार आ रही बाधाएं हैं।
आपको बता दे की केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में ही देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को शेयर बाजार में लिस्ट कराना चाहती थी लेकिन सरकारी बीमा कंपनी का अब तक वैल्यूएशन ही नहीं लग पाया है। एलआईसी के वैल्यूएशन में वास्तव में जरूरत से ज्यादा समय लग रहा है और इसलिए अब तक इससे जुड़ी औपचारिकताएं ही पूरी नहीं हो पाई है। वही अधिकारी ने कहा कि आईपीओ लाने के पहले मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) की पूर्व-अनुमति लेनी होगी. बता दे की इसके अलावा इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी आईआरडीएआई (IRDAI) से भी इसकी अनुमति लेनी होगी. आईआरडीएआई के प्रमुख का पद करीब 7 महीने से खाली पड़ा है.
बताया जा रहा है की इसके अलावा भी कई मसले हैं जिनकी वजह से एलआईसी का वैल्यूएशन पूरा करने में दिक्कत आ रही है। मर्चेंट बैंकर के साथ काम कर रहे एक सीनियर अधिकारी ने यह जानकारी दी है। बता दे की अगर एलआईसी का वैल्यूएशन कर लिया जाता है तब भी नियामक से जुड़ी कई प्रक्रिया है ऐसी हैं जिन्हें आईपीओ से पहले पूरा किया जाना होता है। एलआईसी का वैल्यूएशन अपने आप में बेहद जटिल प्रक्रिया है. इसकी वजह यह है कि एलआईसी का आकार बेहद बड़ा और इसकी प्रोडक्ट मिक्स भी मिली-जुली है. इसके पास रियल एस्टेट एसेट हैं और कई सब्सिडियरी यूनिट्स भी हैं.
एलआईसी की विशाल संपत्ति : जानकारी के लिए बता दे की एलआईसी देश की ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी बीमा कंपनियों में से एक है। इसके वैल्यूएशन में दिक्कत इसलिए आ रही है क्योंकि इसके बड़े आकार प्रोडक्ट मिक्स, रियल स्टेट एसेट, सहयोगी इकाइयों और मुनाफा शेयर करने के स्ट्रक्चर आदि काफी जटिल हैं। बताते चले की केन्द्र सरकार चालू वित्त वर्ष में ही एलआईसी का आईपीओ लाने की कोशिश में लगी हुई है. दरअसल इस वित्त वर्ष के डिसइनवेस्टमेंट लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये को हासिल करने में यह आईपीओ बहुत अहम भूमिका निभा सकता है.