आज का दिन वाराणसी और मां अन्नपूर्णा के भक्तों के लिए बहुत खास है. आज काशी में मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति (Statue of Maa Annapurna Devi) 100 साल बाद फिर प्रतिस्थापित होगी. पिछले साल नवंबर की बात है. मन की बात कार्यक्रम का 29वां एपिसोड था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि एक सदी पहले भारत से चोरी की गई देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति को कनाडा से वापस लाया जाएगा.
बताया जा रहा है कि बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath) ने काशी समेत पूरी दुनिया का पेट भरने के लिए बाबा ने मां अन्नपूर्णा से ही भिक्षा मांगी थी. मां अन्नपूर्णा को भोजन की देवी माना जाता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. बता दें कि 13 दिसंबर को पीएम मोदी द्वारा लोकार्पण के बाद दुनिया भर के लोग काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में देवी अन्नपूर्णा का भी दर्शन और पूजन कर सकेंगे.
जानकारी के लिए बता दे की सनातन धर्म में मां अन्नपूर्णा (Maa Annapurna Devi) को मां जगदंबा का ही एक रूप माना गया है, जिनसे संपूर्ण विश्व का संचालन होता है. जगदंबा के अन्नपूर्णा स्वरूप से संसार का भरण-पोषण होता है. इसी प्रेरणा से मां अन्नपूर्णा अपने स्थान पर विराजेंगी. बनारस शैली में उकेरी गई 18वीं सदी की यह मूर्ति कनाडा की यूनिवर्सिटी आफ रेजिना में मैकेंजी आर्ट गैलरी की शोभा बढ़ा रही थी. इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नार्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार तैयार किया गया था. वर्ष 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की मूर्तिकार कला विशेषज्ञ दिव्या मेहरा को प्रदर्शनी लगाने के लिए आमंत्रित किया गया था. यहां उन्होंने मूर्ति पर गहन अध्ययन किया. इसी दौरान उन्हें इस मूर्ति के भारत के होने का पता चला.
इस मूर्ति में मां अन्नपूर्णा के एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच है. माता का यह स्वरूप आस्था का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि मां अपने हाथों से चम्मच के खीर का प्रसाद भक्तों के बीच बांटकर उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद दे रही हैं.
नोट : इस न्यूज़ को इंटरनेट पर उपलब्ध अन्य वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है। apanabihar.com अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है।