अपने बैंक खाते के माध्यम से ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करते समय, आपको न केवल यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप सही खाता संख्या दर्ज करें बल्कि सही IFSC (Indian Financial System Code) भी दर्ज करें. प्रत्येक बैंक शाखा का अपना एक अलग IFSC होता है. देश भर में कहीं भी किसी बैंक की शाखा (Bank Branch) की पहचान करनी हो तो आईएफएससी कोड मदद करता है। बताया जा रहा है की जब कोई व्यक्ति इमीडिएट पेमेंट सर्विसेज (IMPS), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) सिस्टम के माध्यम से कोई भुगतान या फंड ट्रांसफर करता है तो आईएफएससी कोड की सहायता से ही यह संपन्न होता है।

आखिर क्यों किया जाता है IFSC का इस्तेमाल?

जानकारी के लिए बता दे की जब हम ऑनलाइन माध्यम से इमीडिएट पेमेंट सर्विसेज (IMPS), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) से किसी को पैसे ट्रांसफर करते हैं, तो उसकी बैंक डिटेल्स डालते हैं. बता दे की इस डिटेल में कस्टमर का नाम, बैंक का नाम, अकाउंट नंबर और IFSC कोड शामिल होता है. ये सभी डिटेल्स सही भरने के बाद सही अकाउंट में पैसा पहुंच जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं ये IFSC होता क्या है और बैंक अकाउंट नंबर होने के बावजूद इसकी जरूरत क्यों पड़ती है? बैंक अपने accountholder को जो पासबुक देता है, उसके पहले पन्ने पर भी यह छपा होता है। प्रत्येक बैंक शाखा में एक यूनिक IFSC कोड होता है जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा असाइन किया जाता है। एक वैध IFSC के बिना, उपयोगकर्ता NEFT, IMPS और RTGS का उपयोग करके इंटरनेट बैंकिंग या फंड ट्रांसफर शुरू नहीं कर सकते हैं।

IFSC के लिए क्या करना पड़ता है?

आपके बैंक से आपको पासबुक और चेकबुक मिली होगी. अगर आप अपनी पासबुक का पहला पेज देखें तो उसपर यह IFSC लिखा होता है. इसके अलावा, चेकबुक की लीफ पर भी यह अंकित होता है.

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 5 years.