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बिहार में आने वाला नया साल शहरीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

राज्य में करीब डेढ़ सौ नए बाजार गुलजार होंगे। यह नए शहर बिहार में विकास की रफ्तार को नई गति देंगे।

राज्य कैबिनेट में नए शहरी निकायों के गठन को मंजूरी दी जा चुकी है। अब उन्हें जमीनी आकार देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

इन नए शहरों का असर सीधे तौर पर बिहार की सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक गतिविधियों पर दिखेगा।

देश में शहरीकरण की दौड़ में पिछड़े बिहार ने इस दिशा में आगे जाते हुए साल में एक बड़ी छलांग लगाई है।

इस कदम का असर नए साल में दिखने लगेगा।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में शहरीकरण का आंकड़ा अभी तक सिर्फ 11.27 प्रतिशत था। जो देश में सबसे कम है।

राष्ट्रीय औसत 31.16 प्रतिशत है। नए शहरों के आकार लेने से राज्य में शहरीकरण करीब 20 प्रतिशत हो जाएगा।

निकाय बनने पर राज्य में शहरी इलाकों का विस्तार होगा। उन इलाकों में विकास कार्यों में तेजी आएगी। राज्य सरकार के साथ ही केंद्र की विभिन्न योजनाओं का लाभ इन शहरों को मिलेगा।

तेज होगी विकास की रफ्तार
राज्य सरकार ने लंबे समय बाद बड़े पैमाने पर ग्राम पंचायतों को विघटित कर नए शहरों के गठन को मंजूरी दी है।

117 नए नगर पंचायत हैं। जबकि आठ ग्राम पंचायतों को सीधे नगर परिषद बना दिया गया है। राज्य में नगर निगमों की संख्या भी 12 से बढ़कर 18 हो गई हैं।

नए शहरी निकाय बनने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति और तेज होगी। संबंधित क्षेत्रों में सुनियोजित ढंग से विकास होगा। नागरिक सुविधा बढ़ेंगी। पानी, बिजली, सड़क, स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज, सफाई सहित अन्य सामुदायिक सुविधाओं की व्यवस्था बेहतर हो जाएगी।

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