भारत एक पुरुष प्रधान देश है। जहां एक महिला और पुरुष को बराबरी का दर्जा ना के बराबर मिलता है, यहां तक कि महिलाओं को उनके अधिकारों से भी वंचित रखा जाता है।
इतना ही नहीं अक्सर ऐसा देखा जाता है कि हमारे देश में लोग पता नहीं क्यों बेटियों के जन्म को अच्छा नहीं मानते। बेटा होता तो बड़ी खुशियां मनाते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और बेटी होती तो दुखी होते है।
भागलपुर जिले का धरहरा गांव एक ऐसा गांव है जहां बेटियों के जन्म पर पौधे लगाने की परंपरा है। इस परंपरा को अभी भी लोग निभाते आ रहें हैं, वहां बेटियों के जन्म पर परिवार द्वारा 10 पौधे लगाए जाने की परंपरा है।
पहले इस गांव में दूर-दूर तक कोई पेड़ नजर नहीं आते थे लेकिन इस पेड़ लगाने की परंपरा से पूरा गांव अब हरा-भरा दिखता है। साथ ही यह पेड़ लोगों के आमदनी का जरिया भी बन गया है, जिससे लोग आर्थिक रूप से मजबूत भी होते जा रहे हैं।
बेटियों के जन्म के वक्त लगाए गए 10 पौधे उनके विवाह के समय तक बड़े हो जाते हैं, जिससे परिवार वालों को आर्थिक मदद मिल जाती है और पूरा गांव हरा-भरा भी दिखता है।
धरहरा गांव में 3 से 4 एकड़ जमीन में केवल बगीचे लगे हुए हैं। ये बगीचे गांव की खूबसूरती को बढ़ाते हैं और साथ ही आर्थिक सहायता भी प्रदान करते हैं।
बेटियों को बचाने और उनके बेहतर भविष्य के लिए सरकार द्वारा भी अनेकों पहल की शुरुआत की गई है, जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, दहेज के खिलाफ बातें, बाल विवाह को लेकर जागरूकता फैलाना। इस बीच धरहरा गांव द्वारा किया गया यह कार्य काबिल-ए-तारीफ है।
धरहरा गांव में लगभग 5000 लोग निवास करते हैं। ग्रामीणों द्वारा पर्यावरण संरक्षण और बेटियों के जन्म पर ख़ुशी मनाने के लिए उठाया गया यह कदम काफी सराहनीय है जिसका अनुकरण हम सभी को करना चाहिए।
इस नेक कार्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर हम पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अपने आमदनी का जरिया भी बढ़ा सकते हैं।