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हरियाणा के गोल्‍डन ब्‍वाय नीरज चोपड़ा (neeraj chopra) की ओलिंपिक में स्‍वर्णिम विजय दरअसल 26 मीटर से 87.58 मीटर तक का सफर है। दस साल पहले 13 साल की उम्र, 80 किलो के वजन के खंडरा गांव के नीरज चोपड़ा ने शिवाजी स्टेडियम में पहली बार 26 मीटर दूरी तक भाला फेंका था।

तब उनके हाथ में भाला थमाने वाले सीनियर भाला फेंक एथलीट बिंझौल गांव के जयवीर सिंह उर्फ मोनू और माडल टाउन के शांति नगर के जितेंद्र जागलान अचरज में पड़े गए। इतनी दूर तक भाला एक साल से अभ्यास करने वाले थ्रोअर भी नहीं फेंक पाते थे। दोनों एथलीटों का ओलिंपिक में खेलने का सपना था, लेकिन चोटिल होने के कारण सफल नहीं हो पाए। अब उनके शिष्य नीरज चोपड़ा (neeraj chopra) ने ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर न सिर्फ उन्हें गुरु दक्षिणा दी, बल्कि खेल इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं। इसके साथ ही बांस से बने भाला को टूटने पर उनको कभी डांट भी पड़ी थी।

नीरज का सफर : 13 की उम्र में पहली बार भाला फेंका था, अभ्यास का अनुशासन कभी नहीं छोड़ा

नीरज चोपड़ा (neeraj chopra) का यहां तक सफर संघर्ष से भरा रहा है। एक बार बांस का भाला टूटने पर डांट पड़ गई थी। आंखें नम हो गई थीं। नीरज चोपड़ा (neeraj chopra) ने स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी और ओलिंपिक तक में पहले ही बड़े मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीते हैं। 2012 में अंडर-16 में पहली नेशनल प्रतियोगिता में 68 मीटर भाला फेंक कर नेशनल रिकार्ड बनाया। 2014 में अंडर-18 में 76.50 मीटर भाला फेंक कर स्वर्ण के साथ नेशनल रिकार्ड बनाया।

2015 में हरियाणा के राजेंद्र नैन के 82.23 मीटर के नेशनल रिकार्ड की बराबरी की। 2016 में अंडर-20 में 86.48 मीटर थ्रो कर विश्व रिकार्ड और इंडिया के राजेंद्र नैन का रिकार्ड तोड़कर नया रिकार्ड बनाया। 2018 में कामनवेल्थ व एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीते। 2021 में 88.07 मीटर का नेशनल का नया रिकार्ड बनाया। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में उन्होंने 87.58 मीटर दूरी तक भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीत लिया।

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