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भारत की स्टार मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने महज 23 साल की उम्र में ओलंपिक मेडल अपने नाम कर लिया है। लवलीना का यह पहला ओलंपिक था और उन्होंने अपने प्रदर्शन से करोड़ों हिन्दुस्तानी फैन्स का दिल जीत लिया। सेमीफाइनल में पहुंचकर पहले ही मेडल पक्का कर चुकीं लवलीना की नजर गोल्ड मेडल पर थी, लेकिन कुछ गलतियों की वजह से उनका यह सपना टूट गया।

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विमेंस वेल्टरवेट कैटेगरी (69 किलो) में लवलीना के सामने तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली की चुनौती थी। बुसेनाज मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन हैं और साथ ही काफी आक्रामक बॉक्सर हैं। लवलीना भले ही यह मुकाबला हार गई हों, लेकिन उन्होंने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि उनके मुक्कों में कितना दम है। पहले ही ओलंपिक में उन्होंने इतिहास रच डाला है।

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ओलंपिक में डेब्यू कर रहीं वर्ल्ड चैंपियनशिप की दो बार की ब्रोन्ज मेडलिस्ट लवलीना के खिलाफ बुसेनाज ने शुरुआत से ही दबदबा बनाया और 5-0 से जीत दर्ज करने में सफल रहीं। टोक्यो ओलंपिक गेम्स में यह भारत का तीसरा मेडल है। इससे पहले वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू ने सिल्वर जबकि बैडमिंटन में पीवी सिंधु ने ब्रोन्ज मेडल जीता है। लवलीना का मेडल पिछले नौ सालों में भारत का ओलंपिक मुक्केबाजी में पहला मेडल है।

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लवलीना ओलंपिक बॉक्सिंग फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय मुक्केबाज बनने के लिए चुनौती पेश कर रही थीं, लेकिन वर्ल्ड चैंपियन बुसेनाज ने उनका सपना तोड़ दिया। भारतीय मुक्केबाज के पास तुर्की की खिलाड़ी के दमदार मुक्कों और तेजी का कोई जवाब नहीं था। इस बीच हड़बड़ाहट में भी लवलीना ने गलतियां की।

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