शुक्रवार को केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने वैकल्पिक मूल्यांकन नीति के आधार पर कक्षा 12वीं का परिणाम घोषित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीएसई को 31 जुलाई या उससे पहले कक्षा 12वीं का रिजल्ट घोषित करने का निर्देश दिया गया था। स्कूलों को अंतिम रूप देने और परिणाम जमा करने के लिए 25 जुलाई तक का समय दिया गया था। वहीं बोर्ड द्वारा कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए इसका परिणाम शुक्रवार दोपहर तक जारी कर दिए गया। इस वर्ष छात्रों ने पिछले परिणामों की अपेक्षा उच्चतम उत्तीर्ण प्रतिशत 99.37 दर्ज किया है। इनमें लड़कियों ने 0.54 प्रतिशत के मामूली अंतर से लड़कों को पीछे किया है। इसके अलावा 12वीं का पास प्रतिशत पिछले साल 88.78 प्रतिशत के मुकाबले इस साल 10 प्रतिशत अधिक रहा।
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के बडेरा गांव की रहने वाली सीबीएसई बोर्ड में 12वीं की छात्रा अंसुईया ने रिजल्ट में शत-प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। खास बात तो यह है कि पूरे परिवार में अंसुईया ही एक मात्र ऐसी लड़की है या परिवार का सदस्य है, जो कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई पूरी कर सकी है और सफलतापूर्वक परीक्षा उत्तीर्ण की है। रिपोर्ट के अनुसार अंसुईया के माता-पिता और बहन कभी स्कूल नहीं गए, वहीं उसके भाइयों ने कक्षा 8 के बाद स्कूली शिक्षा छोड़ दी।
शत-प्रतिशत अंक हांसिल किए
अंसुईया ने अपने सभी विषयों में 100 प्रतिशत अंक हांसिल किए हैं। इसमें अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल, पेंटिंग और हिन्दी ऐच्छिक में 100 में से 100 अंक प्राप्त किए हैं। वहीं राजनीति में वह एक अंक से पीछे यानी 99 अंक प्राप्त किए हैं। अंसुईया ने बताया कि उसका पसंदीदा विषय भूगोल और पत्रकारिता है। अंसुईया को 5वीं कक्षा के बाद बुलंदशहर जिले के विद्याज्ञान नाम के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए एक निःशुल्क आवासीय विद्यालय द्वारा चुना गया था। हालाकि अब अंसुईया को छात्रवृत्ति मिल जाएगी जिससे वह अपनी काॅलेज की पढ़ाई पूरी कर सकती है।
IAS अधिकारी बनना चाहती है
अंसुईया के भविष्य की अगर बात करें तो वह एक IAS आधिकारी बनने की इच्छा रखती है। इस दौरान अंसुईया ने कहा कि ‘‘मैं एक अधिकारी बनना चाहती हूॅं और एक ऐसे मुकाम पर पहुंचना चाहती हूॅं, जहां मैं अपने क्षेत्र में बदलाव ला सकूं। अगर मुझे पढ़ने का मौका मिला है, तो मैं इस क्षेत्र में जागरूकता फैलाना चाहूंगी।’’ अंसुईया ने कहा कि उसने अपने एक भाई को चार साल पहले अपने क्षेत्र में उचित स्वास्थ्य सेवा की कमी के कारण खो दिया था। उसने बताया कि उसके पिता एक मजदूर के रूप में काम करते हैं, जबकि उसकी माँ एक गृहिणी है।