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नरेंद्र मोदी सरकार के पहले मंत्री परिषद विस्तार में बुधवार को बिहार को दो नए कैबिनेट मंत्री मिले जिसमें जेडीयू अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह और एलजेपी के एक गुट के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस शामिल हैं. बिहार के एक मंत्री रविशंकर प्रसाद की विदाई हो गई जबकि दूसरे मंत्री राज कुमार सिंह उर्फ आरके सिंह को प्रोमोट करके राज्यमंत्री से कैबिनेट का दर्जा दिया गया. इस सबके बाद एक सवाल उठा है कि क्या बतौर पार्टी अध्यक्ष मोदी सरकार में 2019 में एक मंत्री पद का ऑफर ठुकराने वाले बिहार के सीएम नीतीश कुमार 2021 में एक मंत्री पद लेने के पार्टी अध्यक्ष आरसीपी सिंह के फैसले से नाराज हैं.

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नीतीश नाराज हैं इससे बीजेपी की सेहत पर बिहार में बदले समीकरणों में भले असर ना पड़ता हो लेकिन आरसीपी सिंह के लिए यह चिंता की बात हो सकती है. आरसीपी को अपने पीएस से पार्टी अध्यक्ष पद तक का सफर नीतीश ने ही कराया है. सूत्रों का कहना है कि नीतीश की चाहत थी कि चार मंत्री मिलें और चार नहीं तो कम से कम दो कैबिनेट मंत्री बनाए जाएं जिससे उनके दोनों हाथ माने जाने वाले आरसीपी सिंह और ललन सिंह दोनों ही मंत्री बन जाएं और पार्टी के अंदर कोई कलह ना बढ़े. उन्होंने मीडिया से साफ कह दिया था कि मंत्री कौन बनेगा ये पार्टी अध्यक्ष तय करेंगे और पार्टी अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने अपना नाम तय किया.

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नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को ना बधाई दी है, ना शुभकामना

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नीतीश कुमार नाराज हैं इसका संकेत उनका सोशल मीडिया एकाउंट्स दे रहा है जिस पर केंद्रीय मंत्री परिषद के विस्तार पर कोई प्रतिक्रिया तक नहीं है. खुद अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को मंत्री बनने की बधाई तक नीतीश ने नहीं दी है.  ऐसा भी नहीं है कि नीतीश ने आज कुछ पोस्ट नहीं किया है. 

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