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देश में खाने वाले तोलों की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है. सरकार खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी लाने के लिए, बंदरगाहों पर कच्चे पाम तेल (सीपीओ) जैसी खाद्य वस्तुओं की त्वरित निकासी की निगरानी करने के लिए एक प्रणाली को संस्थागत रूप दिया गया है. इसके अलावा, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए, 30 जून 2021 से 30 सितंबर 2021 तक सीपीओ पर लगने वाले शुल्क में 5 फीसदी कटौती की गई है.

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यह कटौती सिर्फ सितंबर तक ही मान्य है, क्योंकि सरकार अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है. यह कटौती सीपीओ पर पहले के लागू 35.75 प्रतिशत कर की दर को घटाकर 30.25 प्रतिशत तक ले आएगी और बदले में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में गिरावट आ जाएगी. इसके साथ, रिफाइंड पाम ऑयल/पामोलिन पर शुल्क को 45 फीसदी से घटाकर 37.5 फीसदी कर दिया गया है.

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खाने वाले तेलों की निकासी के लिए बंदरगाहों पर अलग व्यवस्था

रिफाइंड ब्लीच्ड डियोडोराइज्ड (आरबीडी) पाम ऑयल और आरबीडी पामोलिन के लिए एक संशोधित आयात नीति 30 जून 2021 से लागू की गई है, जिसके तहत उन्हें प्रतिबंधित श्रेणी से हटाकर मुक्त श्रेणी में शामिल किया गया है. बंदरगाहों पर सुव्यवस्थित व सुचारु प्रक्रियाओं का समर्थन करने के लिए, विशेष रूप से कोविड-19 के चलते विलंबित अनुमति में तेजी लाने के लिए दालों और खाद्य तेलों के आयात की खेपों की तेजी से निकासी के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की गई है.

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खेपों की निकासी के लिए औसत रुकने का समय दालों के मामले में 10 से 11 दिन से घटकर 6 से 9 दिन और खाद्य तेलों के मामले में यह 3 से 4 दिन हो गया है.

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नेपाल के रास्ते आने वाले तेल बन रहे हैं सिरदर्द

सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश, नेपाल के रास्ते कच्चा पॉम तेल (सीपीओ), पामोलीन और वनस्पति घी के साथ अन्य तेलों का शुल्क मुक्त आयात घरेलू तेल तिलहन उद्योग के लिये नया सिरदर्द पैदा कर रहा है. इस रास्ते होने वाले खाद्य तेलों के आयात पर सरकार को जीएसटी के साथ साथ घरेलू उद्योगों के हित में संतुलन साधते हुए कुछ अन्य शुल्क अथवा उपकर आदि लगाना चाहिए.

बढ़ती जा रही है सरसों तेल की मांग

देश में सरसों की मांग निरंतर बढ़ रही है. इसकी वजह इस तेल का मिलावट मुक्त होना है. खाद्य नियामक FSSAI ने आठ जून से सरसों में किसी भी तेल की मिलावट पर रोक लगा दी है और इसे सुनिश्चित करने के लिए निरंतर जांच अभियान भी चला रही है. मंडियों में सरसों की आवक भी कम हो रही है.

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