रतन टाटा दुनिया के सबसे सम्मानित व्यवसायियों में से एक माने जाते हैं. टाटा एंड सन्स के चेयर मैन 84 वर्षीय रतन टाटा को उनकी दयालुता, कर्मनिष्ठा, जुनून और व्यापार में महारथ प्राप्त होने के लिए जाना जाता है. उम्र के साथ साथ उनका अनुभव भी इतना बड़ा है कि वह आए दिन अपने कार्यों से लोगों को नई सीख देते रहते हैं.
आज से सालों पहले भी उन्होंने कुछ ऐसा किया था जो दुनिया भर के लिए एक मिसाल बन गया. दरअसल रतन टाटा ने बदला लेने का मतलब ही बदल दिया था. चलिए जानते हैं कि उन्होंने ऐसा क्या किया था जिसके लिए उन्हें आज तक सराहना मिल रही है.
आम तौर पर देखा जाता है कि अगर किसी को अपने अपमान का बदला लेना हो तो वह सामने वाले को बर्बाद करने या नीचा दिखाने की हर संभव कोशिश करता है लेकिन रतन टाटा का बदला लेने का तरीका लाजवाब था. उन्होंने बदला लेने के लिए अपने प्रतिद्वंदी को नीचा दिखाने या बर्बाद करने का प्रयास नहीं किया बल्कि उनकी मदद कर के अपना बदला पूरा किया.
दरअसल रतन टाटा और उनकी टीम टाटा ग्रुप के नए ऑटोमोबिल बिजनस को बेचने के लिए फोर्ड के पास पहुंची थी, तब फोर्ड ने टाटा और उनकी टीम से वो सबकुछ कह दिया जो कहना बिलकुल उचित नहीं था. फोर्ड डील करने को तैयार थी लेकिन उसके मुताबिक ये डील टाटा ग्रुप पर एक अहसान की तरह थी.
फोर्ड के ऑफिसर्स भारत आ कर टाटा के कार डिपार्टमेंट को खरीदने में दिलचस्पी दिखा गए थे इसीलिए टाटा ग्रुप के लोग इस बात से निश्चिंत थे लेकिन उन्हें क्या पता था कि फोर्ड का उन्हें डेट्रॉयट बुलाने का मकसद कुछ और ही था.
फोर्ड के ऑफिसर्स के साथ रतन टाटा और अन्य टॉप ऑफिसर्स की बैठक में फोर्ड द्वारा कहा गया कि “जब आपको इस बारे में कुछ पता ही नहीं था, तो आपने पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में कदम रखा ही क्यों ?” फोर्ड यहीं नहीं रुका बल्कि उसने आगे कहा कि वे टाटा मोटर्स के कार बिजनस को खरीद तो रहे हैं लेकिन ये उनके ऊपर फोर्ड का अहसान होगा.
दरअसल साल 2008 में ही टाटा मोटर्स ने फोर्ड से जैगवार तथा लैंड-रोवर ब्रैंड (जेएलआर ब्रैंड) को 2.3 अरब डॉलर में खरीद लिया. टाटा मोटर्स की फोर्ड के साथ ये डील उनके लिए जीवानदायिनी सौदा साबित हुई. टाटा मोटर्स की इस उदारता पर फोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन बिल बोर्ड ने टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा था कि ‘आप जेएलआर को खरीदकर हम पर बड़ा अहसान कर रहे हैं.’ उनकी इस बात पर खूब तालियां बजी थीं.