भागलपुर में पहली बार काले अमरूद का उत्पादन शुरू हुआ है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) में विकसित की गई अमरूद की इस अनूठी किस्म ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसके एंटी-एजिंग फैक्टर और रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य फलों से ज्यादा होने की वजह से लोग इसे पसंद करेंगे। अंदर लाल गूदे के साथ काले अमरूद की इस विशेष किस्म में एंटीऑक्सिडेंट, मिनरल्स और विटामिन से भरपूर होने का दावा किया जा रहा है।
करीब तीन साल पहले लगाया काला अमरूद, अब फल आने हुए शुरू
काले अमरूद को बिहार कृषि विश्वविद्यालय में तीन साल से ज्यादा समय तक साइंटफिक रिसर्च के साथ विकसित किया गया है। इसके आकार, सुगंध में कुछ सुधार के बाद जल्द ही इसे व्यावसायिक खेती के लिए लॉन्च किए जाने की संभावना है। देश में हालांकि अभी इस प्रकार के अमरूद का व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
भागलपुर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय अनुसंधान (शोध) के सह निदेशक डॉ. एम. फेजा अहमद ने बताया कि दो-तीन साल पहले इस अमरूद को लगाया गया था, जिसमें अब फल आने शुरू हुए हैं। इसे साइंटफिक रिसर्च के बाद विकसित किया गया है।
‘एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है अमरूद की यह किस्म’
डॉ एम फेजा अहमद ने कहा कि अमरूद की यह किस्म एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। 100 ग्राम अमरूद में लगभग 250 मिलीग्राम विटामिन-सी, विटामिन-ए और बी, कैल्शियम और आयरन के अलावा अन्य मल्टीविटामिन और मिनरल्स होते हैं। कुछ मात्रा में प्रोटीन और दूसरे फायदेमंद तत्व भी शामिल हैं। इस फल से लोगों के ‘एंटीएजिंग’ पर असर पड़ेगा। ये अमरूद अगस्त के अंत तक या फिर सितंबर तक पूरी तरह से पक जाएगा।
डॉ. फेजा अहमद ने आगे कहा कि हम इस अमरूद की गुणवत्ता में और सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। जिसमें कई गुना पोषण लाभ और वाणिज्यिक उत्पादन और निर्यात की बहुत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस अमरूद के व्यवसायिक उपयोग होने के बाद इसका लाभ किसानों को भी मिल सकेगा। यही कारण है कि बीएयू अब इस शोध में जुट गया है कि कैसे इस पौधे को आम किसान इस्तेमाल में लाएं।