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आज के समय में किसान प्रयोग करने में पीछे नहीं हैं. वे जरूरत के हिसाब से प्रयोग कर अपनी स्थिति बेहतर कर रहे हैं और अन्य लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी बन रहे हैं. तमिलनाडु में किसानों के एक समूह ने कुछ ऐसा ही काम किया है, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है. दरअसल, ये किसान केले का इतना अधिक उत्पादन करते थे कि उनके लिए यह परेशानी का सबब बन गया था. इसी बीच एक नई सोच ने उनके जीवन को बदल दिया और अब वे किसान आज हर साल 15 लाख रुपए कमा रहे हैं.

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तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या ज्यादा है. यहां पर बड़ी मात्रा में किसान केला की खेती करते हैं. कावेरी नदी के पानी की वजह से किसानों को सिंचाई की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता और पैदावार अच्छी हो जाती है. हालांकि मांग के मुकाबले उत्पादन काफी ज्यादा है. इस कारण कई बार किसानों को अपने उत्पाद दूर-दूर ले जाना पड़ता था, जिसमें खर्च ज्यादा था और उचित दाम नहीं मिल पाता था.

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सरकार की योजना का मिला लाभ

दूसरी तरफ, केला जल्द खराब हो जाने वाला फल है. इसे सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होती है. लेकिन यहां के किसानों के पास ऐसी कोई सुविधा नहीं थी. आपूर्ति के मुताबिक मांग नहीं होने से किसानों को अच्छा दाम नहीं मिल रहा था तो वे परेशान थे. उन्होंने नई तरकीब सोची और केला को सूखा कर बेचने की योजना पर काम करने लगे.

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2014 में 13 किसानों ने मिलकर एक समूह बनाया और इस दिशा में एक सकारात्मक शुरुआत की. छोटे और सीमांत किसानों के इस समूह ने थोट्टियम केला उत्पादक समूह नाम से काम करना शुरू कर दिया. इस काम में तमिलनाडु सरकार की ओर से सौर्य ऊर्जा से चलने वाले डिहाइड्रेशन प्रोजेक्ट ने बड़ा काम किया. उस वक्त राज्य सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर 100 इकाई स्थापित करने की योजना चला रही थी.

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ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म का भी करते हैं इस्तेमाल

यह परियोजना किसान उत्पादक समूहों (FPO) के लिए उद्यमिता के क्षेत्र में प्रवेश का अवसर प्रदान कर रही थी. थोट्टियम केला उत्पादक समूह के हर बैच में 12 हजार केले सुखाने की क्षमता विकसित की गई. अब हर महीने से पांच बैच केले सूखा लिए जाते हैं. इनसे तमाम तरह के बाई प्रोडक्ट को तैयार किया जाता है जो स्वास्थ्य को लेकर जागरूक युवाओं में काफी लोकप्रिय है.

ग्राहकों तक ज्यादा पहुंच के लिए तमिलनाडु केला उत्पादक कंपनी से समूह ने समझौता कर लिया. इसके साथ ही ऑनलाइन मार्केट प्लेटफॉर्म का भी सहारा लिया गया. इसके बाद जो हुआ वह अपने आप में सफलता की कहानी बयां करने के लिए काफी है. 35 लाख रुपए के निवेश से शुरू की गई कंपनी का सलाना टर्नओवर 15 लाख रुपए है. इसका मुख्य उदेश्य ग्रामीण रोजगार, सामुदायिक सशक्तीकरण और निम्न श्रेणी के कृषि प्रचलनों में सुधार करना है.

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