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11 जून से हो रही लगातार बारिश के कारण गंगा का जलस्तर उफान पर है। दूसरी ओर नेपाल द्वारा गंगा की सहायक नदियों गंडक, घाघरा, बूढ़ी गंडक, पुनपुन, कोसी आदि में बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी जारी है। विगत 24 घंटे में गंगा का जलस्तर में 1.98 मीटर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके कारण जलस्तर बढ़कर 36.98 मीटर पहुंच गया है।

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इस बार लाल निशान गंगा ने पार किया तो मुंगेर में 49 वर्ष का रिकॉर्ड टुटेगा। केंद्रीय जल आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आगे भी गंगा का जलस्तर 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ने की संभावना है। ऐसे में यदि देखें तो इस बार समय जून माह में ही लोगों को बाढ़ की विभीषिका से दो-चार होना पड़ सकता है। विदित हो कि जलस्तर के लगातार बढ़ने के कारण अब निचले इलाके में बाढ़ का पानी फैलना आरंभ हो गया है।

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मुंगेर में गंगा का विकराल रूप 1972 में दिखा था। तब गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 39.33 मीटर को पार कर गया था। यदि इस बार यह स्थिति उत्पन्न हुई तो शहर का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ जाएगा। जबकि बीच का केवल कुछ उंचा हिस्सा ही जलमग्न होने से अछूता रह जाएगा। बताते चलें कि शहरी क्षेत्र में गंगा के पानी का प्रवेश गंगा में खुलने वाले कुछ बड़े नालों के माध्यम से होता है। जबकि दूसरी ओर चंडिका स्थान के पास से दलहट्‌टा बाजार, लालदरवाजा, छोटी केलाबाड़ी, मिर्ची तलाब आदि क्षेत्र में गंगा का पानी प्रवेश करता है। जबकि दूसरी ओर हेरुदियारा की ओर से कासिम बाजार के मोकबिरा, चांय टोला तथा चंदनबाग स्थित नाले से हजरतगंज खानकाह की ओर गंगा का पानी शहरी क्षेत्र में प्रवेश करता है।

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निचले हिस्सों में फैला पानी, पशुओं के चारे की समस्या
बताते चलें कि मुंगेर में गंगा के जलस्तर के खतरे का निशान 39.33 मीटर है। इस स्तर तक गंगा के जलस्तर को पहुंचने में अभी समय लगेगा, परंतु दियारा वासियों खासकर पशुपालकों की परेशानी अब से ही बढ़ने लगी है। क्योंकि निचले हिस्से में बाढ़ का पानी फैलने के साथ ही अब पशुपालकों के सामने चारे की समस्या उत्पन्न होने लगी है। क्योंकि खतों के डूबने के साथ ही हरा चारा भी समाप्त होने लगा है। ऐसे में अपने मवेशियों के साथ सुरक्षित एवं चारा वाले स्थान की ओर पलायन करना पशुपालकों के लिए मजबूरी बन गई है। पशुपालकों पशुओं को नाव के सहारे सुरक्षित स्थान की ओर ले जा रहे हैं।

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