बेतिया जिले में हो रही लगातार बारिश के कारण बाढ़ का पानी कई गांवों में घुस चुका है। कई गांव ऐसे हैं जहां बाढ़ के पानी के घुसने से आवागमन ठप है। ऐसा ही मामला बेतिया के चनपटिया प्रखंड की जैतिया पंचायत के पिपरा गांव वार्ड नंबर 5 का है। यहां पिपरा गांव से तुलाराम घाट, सिसवनिया, चिकपट्टी, नोनिया टोला जाने वाली मुख्य सड़क के बीचों-बीच बना पुल तोड़ा जा चुका है।
अब लोगों को रस्सी के सहारे इस पार से उस पार जाना पड़ रहा है। जो लोग रस्सी के सहारे नहीं जा रहे हैं, उन्हें कमर भर पानी से होकर गुजरना पड़ा है। ऐसे में जान जोखिम में डालकर रस्सी का सहारा लेकर पार कर रहे लोगों के साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
बाढ़ आने से 3 दिन पहले ठेकेदार ने तोड़ा पुल
स्थानीय लोगों का कहना है कि बाढ़ आने से 3 दिन पहले ठेकेदार ने पुल तोड़ दिया, ताकि दूसरे पुल का निर्माण हो सके। इधर, अचानक तेज बारिश के कारण जिले में बाढ़ आ गई। बाढ़ के कारण आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया। अब रस्सी ही एकमात्र सहारा है। गांव में अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उन्हें गांव से बाहर निकालने के लिए कोई रास्ता नहीं है।
ग्रामीण लक्ष्मण राम ने बताया कि उनके बच्चे की तबीयत खराब है, वह दवा लेने जा रहे हैं। रस्सी एकमात्र सहारा है। आने-जाने का कोई रास्ता ही नहीं है। लोगों का कहना है कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण हो जाता तो आवागमन सुचारू रूप से चलता।
ऐसे में सवाल उठता है कि जब मौसम विभाग द्वारा 15 जून से मानसून की सूचना मिल गई थी तो पुल को क्यों तोड़ा गया? अगर पुल की मरम्मत ही करानी थी तो मानसून आने से कुछ महीने पहले भी यह काम किया जा सकता था। इसे जिला प्रशासन की लापरवाही कहें या ठेकेदार की। जब मानसून दस्तक देने वाला था उसी समय इस पुल को तोड़ा गया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
इस संबंध में जब चनपटिया के प्रखंड विकास पदाधिकारी दीनबंधु दिवाकर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह मेरे क्षेत्र में नहीं आता है। आप सीओ साहब से बात कर लीजिए। इस संबंध में चनपटिया CO राकेश कुमार ने बताया कि मैं जाकर देख रहा हूं। चनपटिया विधायक उमाकांत सिंह का कहना है कि मैं प्रशासन से बात कर वहां नाव की व्यवस्था करा दे रहा हूं।
साभार – dainik bhaskar